आर्थराइटिस को आयुर्वेद में आमवात कहते हैं। जोड़ों में दर्द व सूजन इसके लक्षण हैं। सुबह उठने पर यह दिक्कत अधिक होती है, खासकर सर्दियों के दिनों में। इसके अलावा बुखार, बदन दर्द, पसीना अधिक आना, कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। ऐसे में टखने, घुटने व हाथों की अंगुलियां अधिक प्रभावित होती हैं। इनमें चुभन महसूस होती है। प्रौढ़ व बुजुर्गों को ये दिक्कतें अधिक होती हैं।
क्यों होता है यह रोग -
भोजन कभी अधिक व कभी कम मात्रा में खाना, पहला भोजन न पचना और दोबारा फिर खा लेना और हितकारी व अहितकारी भोजन एक साथ लेने से पाचन शक्ति कमजोर होती है। पाचनतंत्र दुरुस्त न होने से भोजन अध पचा रह जाता है जिसे 'आम' कहते हैं। यह रक्त के साथ मिलकर पूरे शरीर में फैलता है। जो शरीर के जोड़ों में सूजन के साथ दर्द का कारण बनता है। इसे आमवात कहा जाता है।
इनसे रहें दूर-
मछली, दूध, दही, केला, गुड़, भैंस का दूध और दूषित जल से दूरी बनाएं। इसके अलावा देर रात तक जागना, मल-मूत्र की हरारत होने पर उसे रोकना, फ्रिज का पानी अधिक पीना, समय पर खाना न लेना और ठंडे पानी से नहाने से बचें। देरी से पचने वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं।
ऐसी हो डाइट-
पुराने शलचावल, कुलथी की दाल, लहसुन, परवल, करेला, बैंगन, सहजन की फली, गोमूत्र, अदरक, पिप्पली, जौ का अन्न खाने में शामिल करें। इसके अलावा उपवास करना, गुनगुना पानी पीना और आसानी से पचने वाले भोजन का प्रयोग करना आमवात के रोगी के लिए फायदेमंद होता है।
कुछ आसान उपायों से मिलती राहत -
आयुर्वेद में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें चिकित्सकीय निर्देशानुसार करने से लाभ होता है।
रेत या सेंधा नमक को गर्म कर उसे पोटली में बांधकर प्रभावित हिस्से पर सेक करने से लाभ होता है।
सौंठ, हरीतकी व अजवाइन का समभाग चूर्ण लेकर तीन ग्राम की मात्रा आधा गिलास गुनगुने पानी के साथ लें।
अमलतास के कोमल पत्तों को सरसों के तेल में भूनकर खाएं, दर्द और सूजन में फायदा होगा।
सौंफ, अजवाइन, हरड़ व काली मिर्च के चूर्ण की तीन ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी से ले सकते हैं।
सौंठ का चूर्ण, कांजी व अमलतास के कोमल पत्तों की चटनी को एकसाथ लें।
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भोजन के पाचन से भी जुड़ी है शरीर में दर्द और सूजन की समस्या, जानें इसके बारे में
आर्थराइटिस को आयुर्वेद में आमवात कहते हैं। जोड़ों में दर्द व सूजन इसके लक्षण हैं। सुबह उठने पर यह दिक्कत अधिक होती है, खासकर सर्दियों के दिनों में। इसके अलावा बुखार, बदन दर्द, पसीना अधिक आना, कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। ऐसे में टखने, घुटने व हाथों की अंगुलियां अधिक प्रभावित होती हैं। इनमें चुभन महसूस होती है। प्रौढ़ व बुजुर्गों को ये दिक्कतें अधिक होती हैं।
क्यों होता है यह रोग -
भोजन कभी अधिक व कभी कम मात्रा में खाना, पहला भोजन न पचना और दोबारा फिर खा लेना और हितकारी व अहितकारी भोजन एक साथ लेने से पाचन शक्ति कमजोर होती है। पाचनतंत्र दुरुस्त न होने से भोजन अध पचा रह जाता है जिसे 'आम' कहते हैं। यह रक्त के साथ मिलकर पूरे शरीर में फैलता है। जो शरीर के जोड़ों में सूजन के साथ दर्द का कारण बनता है। इसे आमवात कहा जाता है।
इनसे रहें दूर-
मछली, दूध, दही, केला, गुड़, भैंस का दूध और दूषित जल से दूरी बनाएं। इसके अलावा देर रात तक जागना, मल-मूत्र की हरारत होने पर उसे रोकना, फ्रिज का पानी अधिक पीना, समय पर खाना न लेना और ठंडे पानी से नहाने से बचें। देरी से पचने वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं।
ऐसी हो डाइट-
पुराने शलचावल, कुलथी की दाल, लहसुन, परवल, करेला, बैंगन, सहजन की फली, गोमूत्र, अदरक, पिप्पली, जौ का अन्न खाने में शामिल करें। इसके अलावा उपवास करना, गुनगुना पानी पीना और आसानी से पचने वाले भोजन का प्रयोग करना आमवात के रोगी के लिए फायदेमंद होता है।
कुछ आसान उपायों से मिलती राहत -
आयुर्वेद में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें चिकित्सकीय निर्देशानुसार करने से लाभ होता है।
रेत या सेंधा नमक को गर्म कर उसे पोटली में बांधकर प्रभावित हिस्से पर सेक करने से लाभ होता है।
सौंठ, हरीतकी व अजवाइन का समभाग चूर्ण लेकर तीन ग्राम की मात्रा आधा गिलास गुनगुने पानी के साथ लें।
अमलतास के कोमल पत्तों को सरसों के तेल में भूनकर खाएं, दर्द और सूजन में फायदा होगा।
सौंफ, अजवाइन, हरड़ व काली मिर्च के चूर्ण की तीन ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी से ले सकते हैं।
सौंठ का चूर्ण, कांजी व अमलतास के कोमल पत्तों की चटनी को एकसाथ लें।