
ऐसे करने से मिलती है शरीर को ऊर्जा
मेडिटेशन के दौरान गहरी सांस लेने से ऑक्सीजन से भरपूर रक्त शरीर में प्रवाहित होता है। उदासी व तनाव दूर होते हैं और व्यक्ति की उम्र लंबी होती है। ध्यान करने से सकारात्मक सोच व ऊर्जा बढ़ती है और चिड़चिड़ापन व उत्तेजना जैसे भाव दूर होते हैं। ईड़ा, पिंघला और सुसुमना, सांस संबंधी नाडिय़ां संतुलित होती हैं जिससे श्वास पर नियंत्रण करना आसान हो जाता है। मेडिटेशन, सात्विक भोजन और सामान्य व्यायाम के माध्यम से थायरॉइड, रूमेटॉयड आर्थराइटिस और अस्थमा जैसे रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
जरूरी नहीं है कि दो घंटे तक करें
मेडिटेशन दो मिनट से दो घंटे तक किया जा सकता है लेकिन यह व्यक्तिके मस्तिष्क व शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है। शरीर, मन व आत्मा के तालमेल के लिए आंखें बंद करके ध्यान करना चाहिए। यह दिमाग के लिए खुराक का काम करता है।
सुबह चार बजे से सूर्योदय तक
सुबह चार बजे से सूर्योदय तक और सूर्यास्त के बाद दो घंटे तक मेडिटेशन किया जा सकता है। उस समय वातावरण शुद्ध होता है और साफ वायु होने से ध्यान का लाभ ज्यादा होता है। ध्यान हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए। शाम के समय मेडिटेशन तभी करें जब खाना खाए हुए दो से तीन घंटे बीत चुके हों। इसे हमेशा शांत माहौल में समतल सतह पर करना चाहिए। घुटनों की तकलीफ वाले कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं। इसका अभ्यास कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
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ऐसे करने से मिलती है शरीर को ऊर्जा
मेडिटेशन के दौरान गहरी सांस लेने से ऑक्सीजन से भरपूर रक्त शरीर में प्रवाहित होता है। उदासी व तनाव दूर होते हैं और व्यक्ति की उम्र लंबी होती है। ध्यान करने से सकारात्मक सोच व ऊर्जा बढ़ती है और चिड़चिड़ापन व उत्तेजना जैसे भाव दूर होते हैं। ईड़ा, पिंघला और सुसुमना, सांस संबंधी नाडिय़ां संतुलित होती हैं जिससे श्वास पर नियंत्रण करना आसान हो जाता है। मेडिटेशन, सात्विक भोजन और सामान्य व्यायाम के माध्यम से थायरॉइड, रूमेटॉयड आर्थराइटिस और अस्थमा जैसे रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
जरूरी नहीं है कि दो घंटे तक करें
मेडिटेशन दो मिनट से दो घंटे तक किया जा सकता है लेकिन यह व्यक्तिके मस्तिष्क व शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है। शरीर, मन व आत्मा के तालमेल के लिए आंखें बंद करके ध्यान करना चाहिए। यह दिमाग के लिए खुराक का काम करता है।
सुबह चार बजे से सूर्योदय तक
सुबह चार बजे से सूर्योदय तक और सूर्यास्त के बाद दो घंटे तक मेडिटेशन किया जा सकता है। उस समय वातावरण शुद्ध होता है और साफ वायु होने से ध्यान का लाभ ज्यादा होता है। ध्यान हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए। शाम के समय मेडिटेशन तभी करें जब खाना खाए हुए दो से तीन घंटे बीत चुके हों। इसे हमेशा शांत माहौल में समतल सतह पर करना चाहिए। घुटनों की तकलीफ वाले कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं। इसका अभ्यास कोई भी व्यक्ति कर सकता है।