
Chronic obstructive pulmonary disease: प्र तिवर्ष नवंबर माह के तीसरे बुधवार को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) डे मनाया जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में लगभग 70 लाख लोग इससे पीडि़त हैं। कई शोधों की मानें तो वर्ष 2030 तक धूम्रपान के बजाय प्रदूषण के कारण यह रोग मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन जाएगा। इसलिए बचाव व जागरुकता जरूरी है।
रहें जागरूक-
सीओपीडी फेफड़ों का गंभीर रोग है। इसमें वायुमार्ग में रुकावट आने से व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। कई बार वायुमार्ग की सूजन, जलन के कारण होने वाली स्थिति को क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस कहते हैं। इससे मरीज कुपोषण का शिकार हो सकता है। मेडिकली देखें तो सीओपीडी की शुरुआती अवस्था में इलाज के विकल्प कम हैं लेकिन रोग को लेकर जागरूक रहने से इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है। सांस में तकलीफ में स्पाइरोमेट्री टैस्ट व माइक्रोस्पाइरोमेट्री टैस्ट से फेफड़ों की जांच कराएं। टीकाकरण से भी सीओपीडी की रोकथाम कर सकते हैं।
लक्षण -
इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में सांस की तकलीफ, अस्थमा, सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना, सीने में जकडऩ, बलगम के साथ खांसी, अचाक वजन में कमी होना शामिल हैं।
कैसे करें रोकथाम-
धूम्रपान करने वाले इसे छोड़ें। उनके आसपास रहने वाले धुएं की पैसिव स्मोकिंग से बचें। यह सीओपीडी के प्रमुख कारणों में से एक है। आउटडोर और इनडोर प्रदूषण जैसे कि वायु प्रदूषण, रासायनिक धुएं और धूल से पूरी तरह बचें। भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे अधिक यातायात, मार्केट व रासायनिक कारखानों में बचाव के साथ जाएं। धूल और केमिकल से बचने के लिए मुंह पर मास्क या सुरक्षा उपकरण लगाएं। फेफड़ों-सांस का संक्रमण कम करने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लें। खासकर लहसुन व अदकर सांसनलियों की रुकावट दूर करते। शरीर में पानी की कमी न होने दें।
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Coronavirus: इस कारण से भी हो सकती है सांस लेने में तकलीफ

Chronic obstructive pulmonary disease: प्र तिवर्ष नवंबर माह के तीसरे बुधवार को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) डे मनाया जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में लगभग 70 लाख लोग इससे पीडि़त हैं। कई शोधों की मानें तो वर्ष 2030 तक धूम्रपान के बजाय प्रदूषण के कारण यह रोग मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन जाएगा। इसलिए बचाव व जागरुकता जरूरी है।
रहें जागरूक-
सीओपीडी फेफड़ों का गंभीर रोग है। इसमें वायुमार्ग में रुकावट आने से व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। कई बार वायुमार्ग की सूजन, जलन के कारण होने वाली स्थिति को क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस कहते हैं। इससे मरीज कुपोषण का शिकार हो सकता है। मेडिकली देखें तो सीओपीडी की शुरुआती अवस्था में इलाज के विकल्प कम हैं लेकिन रोग को लेकर जागरूक रहने से इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है। सांस में तकलीफ में स्पाइरोमेट्री टैस्ट व माइक्रोस्पाइरोमेट्री टैस्ट से फेफड़ों की जांच कराएं। टीकाकरण से भी सीओपीडी की रोकथाम कर सकते हैं।
लक्षण -
इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में सांस की तकलीफ, अस्थमा, सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना, सीने में जकडऩ, बलगम के साथ खांसी, अचाक वजन में कमी होना शामिल हैं।
कैसे करें रोकथाम-
धूम्रपान करने वाले इसे छोड़ें। उनके आसपास रहने वाले धुएं की पैसिव स्मोकिंग से बचें। यह सीओपीडी के प्रमुख कारणों में से एक है। आउटडोर और इनडोर प्रदूषण जैसे कि वायु प्रदूषण, रासायनिक धुएं और धूल से पूरी तरह बचें। भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे अधिक यातायात, मार्केट व रासायनिक कारखानों में बचाव के साथ जाएं। धूल और केमिकल से बचने के लिए मुंह पर मास्क या सुरक्षा उपकरण लगाएं। फेफड़ों-सांस का संक्रमण कम करने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लें। खासकर लहसुन व अदकर सांसनलियों की रुकावट दूर करते। शरीर में पानी की कमी न होने दें।