योग करना हर किसी के लिए जरूरी है। अगर नियमित योग किया जाए तो न केवल बीमारियां से बचा जा सकता है बल्कि कई बीमारियों में जल्द राहत भी मिलती है। आइये जानते हैं उन पांच आसनों और उनके फायदों के बारे में जिनको करने से महिलाएं स्वस्थ रह सकेंगी। आसन सही तरीके से करना चाहिए। कोई भी आसन करने से पहले योग विशेषज्ञ से उसका सही तरीका जरूर सीख लें।
मार्जारी आसन -
मार्जारी का शाब्दिक अर्थ बिल्ली होता है। इसको 8-10 बार करना होता है। इससे पेट की चर्बी कम होती है। कब्ज में राहत मिलती है। कमर, गर्दन और मेरूदंड लचीले होते हैं। महिलाओं के लिए लाभकारी आसन है। रीढ़ की हड्डी और कमर में दर्द है तो ये आसन न करें।
कंधरासन -
इसको 5-10 बार करना चाहिए। यह आसन प्रजनन अंगों को मजबूत बनाता है। इससे अनियमित माहवारी व गर्भपात का खतरा टलता है। रीढ़ की हड्डी से संबंधी बीमारियों में बचाव होता है। गंभीर पेट के रोगी, हर्निया और गर्दन दर्द के रोगी इस आसन को करने से बचें।
शशांकासन -
इस आसन को करने के लिए खरगोश की तरह बैठना होता है। एक बार में 10-12 बार कर सकते हैं। इससे उदर संबंधी बीमारियों से बचाव होता है। महिलाओं के बस्ति प्रदेश को लाभ, प्रजनन अंग स्वस्थ और मानसिक विकार दूर होते हैं। बीपी और स्लिपडिस्क के रोगी इसे न करें।
नौकासन -
इसको एक बार में 5-6 बार तक कर सकते हैं। इसेकरने से महिलाओं को ओवेरी (बच्चादानी) और यूट्रस (गर्भाशय) की समस्याओं में राहत मिलती है। प्रसव के बाद की चर्बी भी घटती है। पीठ और आंत मजबूत होते। हाल ही सर्जरी व रीढ़ की हड्डी में समस्या वाले न करें।
गोमुखासन - इस आसन में गाय के मुख जैसा आकार बनाना होता है। इसको करने से मधुमेह, गठिया, कब्ज, पीठ दर्द जैसी कई समस्याओं में तुरंत राहत मिलती है। इससे छाती व कंधा मजबूत होते हैं। गोमुखासन को बवासीर के रोगी न करें। इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है।
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महिलाएं ये पांच आसन करके रह सकती है फिट
योग करना हर किसी के लिए जरूरी है। अगर नियमित योग किया जाए तो न केवल बीमारियां से बचा जा सकता है बल्कि कई बीमारियों में जल्द राहत भी मिलती है। आइये जानते हैं उन पांच आसनों और उनके फायदों के बारे में जिनको करने से महिलाएं स्वस्थ रह सकेंगी। आसन सही तरीके से करना चाहिए। कोई भी आसन करने से पहले योग विशेषज्ञ से उसका सही तरीका जरूर सीख लें।
मार्जारी आसन -
मार्जारी का शाब्दिक अर्थ बिल्ली होता है। इसको 8-10 बार करना होता है। इससे पेट की चर्बी कम होती है। कब्ज में राहत मिलती है। कमर, गर्दन और मेरूदंड लचीले होते हैं। महिलाओं के लिए लाभकारी आसन है। रीढ़ की हड्डी और कमर में दर्द है तो ये आसन न करें।
कंधरासन -
इसको 5-10 बार करना चाहिए। यह आसन प्रजनन अंगों को मजबूत बनाता है। इससे अनियमित माहवारी व गर्भपात का खतरा टलता है। रीढ़ की हड्डी से संबंधी बीमारियों में बचाव होता है। गंभीर पेट के रोगी, हर्निया और गर्दन दर्द के रोगी इस आसन को करने से बचें।
शशांकासन -
इस आसन को करने के लिए खरगोश की तरह बैठना होता है। एक बार में 10-12 बार कर सकते हैं। इससे उदर संबंधी बीमारियों से बचाव होता है। महिलाओं के बस्ति प्रदेश को लाभ, प्रजनन अंग स्वस्थ और मानसिक विकार दूर होते हैं। बीपी और स्लिपडिस्क के रोगी इसे न करें।
नौकासन -
इसको एक बार में 5-6 बार तक कर सकते हैं। इसेकरने से महिलाओं को ओवेरी (बच्चादानी) और यूट्रस (गर्भाशय) की समस्याओं में राहत मिलती है। प्रसव के बाद की चर्बी भी घटती है। पीठ और आंत मजबूत होते। हाल ही सर्जरी व रीढ़ की हड्डी में समस्या वाले न करें।
गोमुखासन - इस आसन में गाय के मुख जैसा आकार बनाना होता है। इसको करने से मधुमेह, गठिया, कब्ज, पीठ दर्द जैसी कई समस्याओं में तुरंत राहत मिलती है। इससे छाती व कंधा मजबूत होते हैं। गोमुखासन को बवासीर के रोगी न करें। इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है।
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