पोलियो का कोई इलाज नहीं होता, पोलियो का टीका बार -बार देने से बच्चों को जीवन भर सुरक्षा मिलती है। व्यापक टीकाकरण के कारण पश्चिमी गोलार्ध से पोलियो का उन्मूलन 1994 में हो गया था। टीकाकरण कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं ताकि पोलियो से होने वाली बीमारियों को सफाया किया जा सके। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल अगस्त में पोलियो जागरुकता सप्ताह का आयोजन किया जाता है। जिसका मकसद पोलियो के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों का जागरुक करना होता है।
पोलियो मुख्य रुप से छोटे बच्चोँ को जिनकी उम्र 1 से 5 वर्ष तक की होती है, उन्ही को अधिक प्रभावित करता है। यह रोग मुख्य रूप से एक प्रकार के वायरस के कारण होता है जो कि नवजात शिशुओं या 5 वर्ष तक के बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाता है और उनके पैरों को कार्य करने योग्य नहीं छोड़ता। लेकिन यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है।
यह वायरस, बच्चों में विकलांगता पैदा कर देता है। इस रोग से ग्रस्त बच्चे खड़े होकर नहीं चल पाते, और वे अपने हाथ से भी कार्य करने में भी असमर्थ हो जाते हैं। यह मुख्य रूप से बच्चों को ही अपना शिकार बनाता है, और इसलिए इसे शिशुओं का लकवा या बाल पक्षाघात भी कहा जाता है।
पालियो रोग के लक्षण
इस रोग से पीड़ित बच्चों के सिर में दर्द, सिर में चुभन रहती है, और बच्चा बैचेन रहता है। रोगी बच्चे की रीढ़ की हड्डी में जकड़न महसूस होती है। 2 या 3 दिनों में ये सभी लक्षण खत्म हो जाते हैं और इसके बाद , बच्चे के हाथ और पैर कार्य करना बंद कर देते है। इस तरह से बच्चा विकलांग बनकर रह जाता है। इस रोग से प्रभावित बच्चा चलने-फिरने और कोई अन्य कार्य करने में भी असमर्थ हो जाता है।
पालियो रोग के कारण
पोलियो एक ऐसा रोग है, जो मुख्य रूप से वायरस के कारण फैलता है। इस वायरस को विज्ञान की भाषा में पाँलीवाइरस के नाम से जाना जाता है। ज्यादातर वायरस युक्त भोजन के सेवन से यह रोग होता है। दूषित भोजन खाने से यह वायरस शरीर में सिर तक पहुंच जाता है, जिसके कारण सिर की कोशिकायें नष्ट होने लगती हैं। यह वायरस श्वास तंत्र से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह वायरस स्पाइनल कॉर्ड पर संक्रमण करके वहां पर सूजन पैदा कर देता है। इस सूजन के कारण बच्चे के हाथ और पैर कार्य करना बंद कर देते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिला को यदि उचित प्रोटीन युक्त भोजन नहीं मिलता, तो उसके बच्चे को भी पोलियो हो सकता है।
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polio awareness week 2018 : क्या है पोलियो, जानें इसके बारे में
पोलियो का कोई इलाज नहीं होता, पोलियो का टीका बार -बार देने से बच्चों को जीवन भर सुरक्षा मिलती है। व्यापक टीकाकरण के कारण पश्चिमी गोलार्ध से पोलियो का उन्मूलन 1994 में हो गया था। टीकाकरण कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं ताकि पोलियो से होने वाली बीमारियों को सफाया किया जा सके। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल अगस्त में पोलियो जागरुकता सप्ताह का आयोजन किया जाता है। जिसका मकसद पोलियो के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों का जागरुक करना होता है।
पोलियो मुख्य रुप से छोटे बच्चोँ को जिनकी उम्र 1 से 5 वर्ष तक की होती है, उन्ही को अधिक प्रभावित करता है। यह रोग मुख्य रूप से एक प्रकार के वायरस के कारण होता है जो कि नवजात शिशुओं या 5 वर्ष तक के बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाता है और उनके पैरों को कार्य करने योग्य नहीं छोड़ता। लेकिन यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है।
यह वायरस, बच्चों में विकलांगता पैदा कर देता है। इस रोग से ग्रस्त बच्चे खड़े होकर नहीं चल पाते, और वे अपने हाथ से भी कार्य करने में भी असमर्थ हो जाते हैं। यह मुख्य रूप से बच्चों को ही अपना शिकार बनाता है, और इसलिए इसे शिशुओं का लकवा या बाल पक्षाघात भी कहा जाता है।
पालियो रोग के लक्षण
इस रोग से पीड़ित बच्चों के सिर में दर्द, सिर में चुभन रहती है, और बच्चा बैचेन रहता है। रोगी बच्चे की रीढ़ की हड्डी में जकड़न महसूस होती है। 2 या 3 दिनों में ये सभी लक्षण खत्म हो जाते हैं और इसके बाद , बच्चे के हाथ और पैर कार्य करना बंद कर देते है। इस तरह से बच्चा विकलांग बनकर रह जाता है। इस रोग से प्रभावित बच्चा चलने-फिरने और कोई अन्य कार्य करने में भी असमर्थ हो जाता है।
पालियो रोग के कारण
पोलियो एक ऐसा रोग है, जो मुख्य रूप से वायरस के कारण फैलता है। इस वायरस को विज्ञान की भाषा में पाँलीवाइरस के नाम से जाना जाता है। ज्यादातर वायरस युक्त भोजन के सेवन से यह रोग होता है। दूषित भोजन खाने से यह वायरस शरीर में सिर तक पहुंच जाता है, जिसके कारण सिर की कोशिकायें नष्ट होने लगती हैं। यह वायरस श्वास तंत्र से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह वायरस स्पाइनल कॉर्ड पर संक्रमण करके वहां पर सूजन पैदा कर देता है। इस सूजन के कारण बच्चे के हाथ और पैर कार्य करना बंद कर देते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिला को यदि उचित प्रोटीन युक्त भोजन नहीं मिलता, तो उसके बच्चे को भी पोलियो हो सकता है।
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