विश्व कुष्ठ दिवस पर एक सेमिनार को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए गोविंदराज ने इस रोग से प्रभावित व्यक्तियों के सामने आने वाली कानूनी चुनौतियों पर भी बात की और उनके अधिकारों और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक समाधान का आग्रह किया।ALSO READ: एक वायरस भी अल्जाइमर रोग का बन सकता है कारण, क्या हैं उपाय
कुष्ठ रोग के बारे में मिथकों को दूर करने का आह्वान : सीसीपीडी द्वारा आयोजित इस सेमिनार में सरकारी अधिकारियों, गैरसरकारी संगठनों, चिकित्सा विशेषज्ञों और अन्य ने भाग लिया जिन्होंने कुष्ठ रोग के बारे में मिथकों को दूर करने और प्रभावित व्यक्तियों को इसमें शामिल करने को बढ़ावा देने के विषय में बात की।
गोविंदराज ने कहा कि भारत में 750 कुष्ठ बस्तियां समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग हैं और उन्होंने कुष्ठ रोग से जुड़े भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि कुष्ठ रोग से संबंधित छुआछूत जाति आधारित भेदभाव से भी बदतर है।ALSO READ: Coldplay Concert: क्रिस मार्टिन ने वंदे मातरम् गाकर दी गणतंत्र दिवस की बधाई, बुमराह भी कॉन्सर्ट में पहुंचे
परिवार के सदस्य भी रोगी का साथ छोड़ देते हैं : 3 दशक पहले महाराष्ट्र के जलगांव में एक कुष्ठ रोग कॉलोनी में बिताए अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह परिवार के सदस्य भी अक्सर इस रोग से पीड़ित लोगों से अलग हो जाते हैं। अग्रवाल ने इस समस्या से निपटने के लिए कानूनी सुधार, शीघ्र पहचान और मजबूत पुनर्वास उपायों की मांग की।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. शिवसुब्रमण्यम ने बताया कि वैश्विक कुष्ठ रोग के 53 प्रतिशत मामले भारत में हैं। उन्होंने समुदाय आधारित पुनर्वास की आवश्यकता पर बल दिया। सेमिनार में अंतरराष्ट्रीय कुष्ठ रोग एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पी. नरसिम्हा राव भी शामिल हुए जिन्होंने कुष्ठ रोग उन्मूलन की चिकित्सीय चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta
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