google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बच्चे को गर्भनाल इंफेक्शन से ऐसे बचाएं, जानें इसके बारे में - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

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बच्चे को गर्भनाल इंफेक्शन से ऐसे बचाएं, जानें इसके बारे में

जन्म के बाद कॉर्ड (गर्भनाल) काटने व बांधने के शुरुआती दो हफ्तों में बच्चे को इंफेक्शन का खतरा होता है। जानकारी के अभाव में विशेषकर गांवों और पहाड़ी क्षेत्रों में यह संक्रमण सबसे ज्यादा होता है, इसलिए नेपाल में नवी मलम (मिरेकल जैल) का प्रयोग किया जाता है। यह क्लोरेक्सिडाइन (सीएचएक्स सॉल्यूशन) से बना है। जिन ग्रामीण या पहाड़ी इलाकों में बच्चे घर पर दाई की मदद से होते हैं वहां नवी मलम काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
नवी मलम जैल-
नवी मलम का इस्तेमाल सबसे पहले नेपाल में शुरू हुआ। भारत में भी इसका प्रचार प्रसार हो रहा है। इसे डब्ल्यूएचओ ने भी बच्चों के लिए जरूरी मेडिसिन की अपनी मॉडल लिस्ट में जोड़ा है।
कॉर्ड का इंफेक्शन-
बच्चे के जन्म के बाद २-३ इंच कॉर्ड बचाकर बाकी कॉर्ड तुरंत काट दी जाती है और उसे बांधा जाता है। इसके दो हफ्ते बाद बची हुई कॉर्ड अपने आप गिरती है। कॉर्ड काटने के लिए गांवों में दाइयां जंग लगा चाकू या फरड़ा इस्तेमाल कर लेती हैं। कई बार मांएं गर्भनाल पर हल्दी, सरसों या नारियल का तेल, गोबर, घी, राख या मिट्टी लगा देती हैं। इससे बच्चे की कॉर्ड लाल हो जाती है और सूजन के साथ मवाद निकलने लगता है, डॉक्टरी सलाह ना लेने पर बच्चे की जान भी जा सकती है।
साफ-सफाई जरूरी-
गर्भनाल काटते समय दाइयों को अपने हाथों की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। नाल काटने और बांधने के लिए प्रयोग की जाने वाली चीजों की सफाई भी जरूरी है। इंफेक्शन से बचाने के लिए उसे खुला, सूखा और साफ रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा इस पर कुछ लगाने की जरूरत नहीं होती। मां को टिटनेस का टीका लगने से इसका खतरा नहीं होता।
मम्मी ये करें-
शुरुआती एक हफ्ते बच्चे को स्पंज से सिर्फ पोंछ दें। बच्चे को 2-3 हफ्ते टब में ना नहलाएं, इससे इंफेक्शन हो सकता है। बच्चा जब पेशाब करे तो, ध्यान दें कि उससे कॉर्ड गीली ना हो, मालिश करते वक्त कॉर्ड में तेल नहीं जाना चाहिए। कॉर्ड काटने के बाद अगर उसे बांधने के लिए धागे का इस्तेमाल हुआ है, तो दो-तीन घंटे बाद उसे चेक करें। हो सकता है, धागे की पकड़ ढीली हो गई हो और रक्तस्राव हो रहा हो।



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बच्चे को गर्भनाल इंफेक्शन से ऐसे बचाएं, जानें इसके बारे में

जन्म के बाद कॉर्ड (गर्भनाल) काटने व बांधने के शुरुआती दो हफ्तों में बच्चे को इंफेक्शन का खतरा होता है। जानकारी के अभाव में विशेषकर गांवों और पहाड़ी क्षेत्रों में यह संक्रमण सबसे ज्यादा होता है, इसलिए नेपाल में नवी मलम (मिरेकल जैल) का प्रयोग किया जाता है। यह क्लोरेक्सिडाइन (सीएचएक्स सॉल्यूशन) से बना है। जिन ग्रामीण या पहाड़ी इलाकों में बच्चे घर पर दाई की मदद से होते हैं वहां नवी मलम काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
नवी मलम जैल-
नवी मलम का इस्तेमाल सबसे पहले नेपाल में शुरू हुआ। भारत में भी इसका प्रचार प्रसार हो रहा है। इसे डब्ल्यूएचओ ने भी बच्चों के लिए जरूरी मेडिसिन की अपनी मॉडल लिस्ट में जोड़ा है।
कॉर्ड का इंफेक्शन-
बच्चे के जन्म के बाद २-३ इंच कॉर्ड बचाकर बाकी कॉर्ड तुरंत काट दी जाती है और उसे बांधा जाता है। इसके दो हफ्ते बाद बची हुई कॉर्ड अपने आप गिरती है। कॉर्ड काटने के लिए गांवों में दाइयां जंग लगा चाकू या फरड़ा इस्तेमाल कर लेती हैं। कई बार मांएं गर्भनाल पर हल्दी, सरसों या नारियल का तेल, गोबर, घी, राख या मिट्टी लगा देती हैं। इससे बच्चे की कॉर्ड लाल हो जाती है और सूजन के साथ मवाद निकलने लगता है, डॉक्टरी सलाह ना लेने पर बच्चे की जान भी जा सकती है।
साफ-सफाई जरूरी-
गर्भनाल काटते समय दाइयों को अपने हाथों की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। नाल काटने और बांधने के लिए प्रयोग की जाने वाली चीजों की सफाई भी जरूरी है। इंफेक्शन से बचाने के लिए उसे खुला, सूखा और साफ रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा इस पर कुछ लगाने की जरूरत नहीं होती। मां को टिटनेस का टीका लगने से इसका खतरा नहीं होता।
मम्मी ये करें-
शुरुआती एक हफ्ते बच्चे को स्पंज से सिर्फ पोंछ दें। बच्चे को 2-3 हफ्ते टब में ना नहलाएं, इससे इंफेक्शन हो सकता है। बच्चा जब पेशाब करे तो, ध्यान दें कि उससे कॉर्ड गीली ना हो, मालिश करते वक्त कॉर्ड में तेल नहीं जाना चाहिए। कॉर्ड काटने के बाद अगर उसे बांधने के लिए धागे का इस्तेमाल हुआ है, तो दो-तीन घंटे बाद उसे चेक करें। हो सकता है, धागे की पकड़ ढीली हो गई हो और रक्तस्राव हो रहा हो।

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