बोलने, हंसने या रोने की तरह गुस्सा भी भावना की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। लेकिन ज्यादा गुस्सा व गुस्सा दबाना, दोनों ही आदतें शरीर व दिमाग के लिए सही नहीं हैं। ये स्थितियां आपके लिए कई तरह की परेशानियां बढ़ा सकती हंै।
फास्टिंग-
कई उपवास यानी फास्टिंग हमारे पाचन तंत्र को आराम देने का बेहतरीन जरिया है, खानपान पर ब्रेक लगाने से शरीर को सुस्ताने और उसमें जमे टॉक्सिन को बाहर निकालने का अवसर मिलता है। फास्टिंग से रक्त की सफाई के साथ साथ आंतों, गुर्दों, ब्लैडर, फेफड़ों और साइनस को भी साफ होने का मौका मिलता है।
एंटी इन्फ्लेमेट्री फूड-
आप ऐसी कुदरती और पोषक खाद्य सामग्री चुनें जो एंटी इन्फ्लेमेटरी हो। प्रोसेस्ड, प्रदूषित, बिना पोषक तत्वों वाले भोजन से शरीर में एसिडिक, इनफ्लेम्ड और प्रदूषित वातावरण तैयार होता है, जो शरीर के कुदरती हीलिंग प्रोसेस को बाधित करता है। 'क्लीन ईटिंग' का रास्ता चुनें यानी ताजा फल सब्जी पर जोर दें और प्रोसेस्ड फूड, चीनी, मैदा, तेल घी आदि से बचें। हफ्ते में कम से कम दो तीन दिन ऐसा भोजन करें।
क्लीजिंग स्पाइस डाइट-
मसालों को नजरअंदाज न करें बल्कि अपने भोजन में गुणकारी और डिटॉक्सीफाइ करने वाले मसाले शामिल करें जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं जैसे दालचीनी, ओरीगेनो, इलायची, हल्दी, जीरा, सौंफ, अदरक, कलौंजी, काली मिर्च, लौंग आदि।
ग्रीन स्मूदीज-
शरीर के हांफते हुए भीतरी सिस्टम को रिचार्ज करने के लिए ग्रीन स्मूदीज एक बेहतरीन उपाय है। ये स्मूदीज थकान को भी दूर करती हैं और एंटी इन्फ्लेमेटरी भी होती हैं। इनके सेवन से शरीर में हो रहे छोटे मोटे दर्द से भी राहत मिलती है और ढेर सारा फाइबर आंतों की सफाई में भी मददगार होता है।
योगा और वर्कआउट-
मॉर्निंग वॉक और योगा को अपने रूटीन में शामिल करें। मॉर्निंग वॉक, योगा, स्विमिंग और हल्की फुल्की एक्सरसाइज शरीर से टॉक्सिन निकाल फेंकने में मददगार होती है। इससे शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं और क्रियाशील रहते हैं। सूर्य नमस्कार भी एक प्रभावी उपाय है जो लिवर, पैंक्रियाज, किडनी और स्प्लीन की टोनिंग करता है, लोवर बैक की स्ट्रैचिंग करता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करते हुए ऊपर बॉडी को मजबूती देता है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3jdVifd
इन खास टिप्स से शरीर को रख सकते हैं टॉक्सिन से मुक्त
बोलने, हंसने या रोने की तरह गुस्सा भी भावना की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। लेकिन ज्यादा गुस्सा व गुस्सा दबाना, दोनों ही आदतें शरीर व दिमाग के लिए सही नहीं हैं। ये स्थितियां आपके लिए कई तरह की परेशानियां बढ़ा सकती हंै।
फास्टिंग-
कई उपवास यानी फास्टिंग हमारे पाचन तंत्र को आराम देने का बेहतरीन जरिया है, खानपान पर ब्रेक लगाने से शरीर को सुस्ताने और उसमें जमे टॉक्सिन को बाहर निकालने का अवसर मिलता है। फास्टिंग से रक्त की सफाई के साथ साथ आंतों, गुर्दों, ब्लैडर, फेफड़ों और साइनस को भी साफ होने का मौका मिलता है।
एंटी इन्फ्लेमेट्री फूड-
आप ऐसी कुदरती और पोषक खाद्य सामग्री चुनें जो एंटी इन्फ्लेमेटरी हो। प्रोसेस्ड, प्रदूषित, बिना पोषक तत्वों वाले भोजन से शरीर में एसिडिक, इनफ्लेम्ड और प्रदूषित वातावरण तैयार होता है, जो शरीर के कुदरती हीलिंग प्रोसेस को बाधित करता है। 'क्लीन ईटिंग' का रास्ता चुनें यानी ताजा फल सब्जी पर जोर दें और प्रोसेस्ड फूड, चीनी, मैदा, तेल घी आदि से बचें। हफ्ते में कम से कम दो तीन दिन ऐसा भोजन करें।
क्लीजिंग स्पाइस डाइट-
मसालों को नजरअंदाज न करें बल्कि अपने भोजन में गुणकारी और डिटॉक्सीफाइ करने वाले मसाले शामिल करें जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं जैसे दालचीनी, ओरीगेनो, इलायची, हल्दी, जीरा, सौंफ, अदरक, कलौंजी, काली मिर्च, लौंग आदि।
ग्रीन स्मूदीज-
शरीर के हांफते हुए भीतरी सिस्टम को रिचार्ज करने के लिए ग्रीन स्मूदीज एक बेहतरीन उपाय है। ये स्मूदीज थकान को भी दूर करती हैं और एंटी इन्फ्लेमेटरी भी होती हैं। इनके सेवन से शरीर में हो रहे छोटे मोटे दर्द से भी राहत मिलती है और ढेर सारा फाइबर आंतों की सफाई में भी मददगार होता है।
योगा और वर्कआउट-
मॉर्निंग वॉक और योगा को अपने रूटीन में शामिल करें। मॉर्निंग वॉक, योगा, स्विमिंग और हल्की फुल्की एक्सरसाइज शरीर से टॉक्सिन निकाल फेंकने में मददगार होती है। इससे शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं और क्रियाशील रहते हैं। सूर्य नमस्कार भी एक प्रभावी उपाय है जो लिवर, पैंक्रियाज, किडनी और स्प्लीन की टोनिंग करता है, लोवर बैक की स्ट्रैचिंग करता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करते हुए ऊपर बॉडी को मजबूती देता है।