जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो वे कुछ दवा खाली पेट तो कुछ खाने के बाद लेने की सलाह देते हैं। असल में विशेषज्ञ रोग की प्रकृति, रोगी की अवस्था व दवा के निर्माण में प्रयोग हुए सॉल्ट के अनुपात के आधार पर दवा लेने की सलाह देते हैं।
भोजन से आधा घंटा पहले: कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जिनका असर लेने के आधे से एक घंटे के बीच होता है। ऐसे में भोजन करने से पहले इन्हें लेना पेट की कार्यक्षमता को सुचारू कर देता है।
भोजन के बाद : रोगों के इलाज में प्रयोग होने वाली कई दवाएं ऐसी हैं जो पेट में जाकर एसीडिटी व अल्सर जैसी समस्या का कारण बनती हैं। पेनकिलर इसका उदाहरण है। ये खाने के साथ मिलकर एसिड बनाती हैं। इसलिए इन्हें खाने के कुछ समय बाद ही लेने के लिए कहते हैं।
खाली पेट : कुछ दवाएं ऐसी हैं जो पानी में जल्दी घुलने वाली होती हैं। इसलिए इन्हें खाली पेट लेने के लिए कहते हैं। इन दवाओं को खाने के बाद लिया जाए तो ये भोजन के साथ मिलकर घुलने में अधिक समय लगाती हैं जिससे इनका असर भी कम हो जाता है।
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जानिए डॉक्टर क्यों बताते हैं दवा लेने का समय
जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो वे कुछ दवा खाली पेट तो कुछ खाने के बाद लेने की सलाह देते हैं। असल में विशेषज्ञ रोग की प्रकृति, रोगी की अवस्था व दवा के निर्माण में प्रयोग हुए सॉल्ट के अनुपात के आधार पर दवा लेने की सलाह देते हैं।
भोजन से आधा घंटा पहले: कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जिनका असर लेने के आधे से एक घंटे के बीच होता है। ऐसे में भोजन करने से पहले इन्हें लेना पेट की कार्यक्षमता को सुचारू कर देता है।
भोजन के बाद : रोगों के इलाज में प्रयोग होने वाली कई दवाएं ऐसी हैं जो पेट में जाकर एसीडिटी व अल्सर जैसी समस्या का कारण बनती हैं। पेनकिलर इसका उदाहरण है। ये खाने के साथ मिलकर एसिड बनाती हैं। इसलिए इन्हें खाने के कुछ समय बाद ही लेने के लिए कहते हैं।
खाली पेट : कुछ दवाएं ऐसी हैं जो पानी में जल्दी घुलने वाली होती हैं। इसलिए इन्हें खाली पेट लेने के लिए कहते हैं। इन दवाओं को खाने के बाद लिया जाए तो ये भोजन के साथ मिलकर घुलने में अधिक समय लगाती हैं जिससे इनका असर भी कम हो जाता है।
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