google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 हिप रिप्लेसमेंट में कारगर है डेल्टा मोशन, जानें इसके बारे में - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

नए नुस्खे

Home Top Ad

Post Top Ad

हिप रिप्लेसमेंट में कारगर है डेल्टा मोशन, जानें इसके बारे में

हिप रिप्लेसमेंट में इन दिनों डेल्टा मोशन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इस तकनीक के जरिए ट्रांसप्लांट हिप काफी हद तक नेचुरल हिप की तरह काम करता है। इसमें डिस्लोकेशन की आशंका न के बराबर रहती हैं।

युवाओं में समस्या -
हिप से जुड़ी समस्याओं को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। बदलती जीवनशैली के कारण हमारा ध्यान सिर्फ घुटनों पर ही जाता है। हिप्स के जोड़ में होने वाली समस्या सिर्फ बुढ़ापे की नहीं बल्कि युवाओं में भी सामने आई है। तीस से चालीस साल के व्यक्तियों में भी आज के समय में ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

लापरवाही पड़ सकती है भारी : कमरदर्द के सही नहीं होने के पीछे कई बार हिप की समस्या होना सामने आया है। कूल्हे की समस्या अधिकांश व्यक्तियों में बीमारी की अंतिम अवस्था में पता चलती है। अगर शुरुआत में पता चल जाए तो नियमित व्यायाम और कुछ दवाओं की मदद से इससे बचा जा सकता है। कूल्हे की हड्डी घिसने के कई कारण हो सकते हैं जैसे पुरानी चोट, पूर्व में हुआ कूल्हे का ऑपरेशन, टांगे चौड़ी नहीं कर सकना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

आम होते हैं लक्षण -
कूल्हे के घिसने से उसके मुड़ने और गोल घूमने की क्षमता पर असर पड़ता है। व्यक्ति को पालथी मारने और उकडू बैठने में परेशानी आती है। कई बार मरीज की कमर में दर्द रहने लगता है। दवा और फिजियोथैरेपी लेने के बाद भी यह दर्द दूर नहीं होता क्योंकि असली समस्या कमर में नहीं हिप के घिसने की होती है।

ट्रांसप्लांट की लंबी उम्र -
हिप ट्रांसप्लांट सर्जरी के दौरान कूल्हे के घिसे हिस्से को निकाल कर आर्टिफिशियल हिप लगाया जाता है जो कि विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। उसमें से एक होता है डीएम (डेल्टा मोशन)। सेरेमिक और टाइटेनियम से बने इस कृत्रिम कूल्हे की घिसने की गति और मात्रा कम होती है, जिससे इसकी उम्र लंबी हो जाती है। ऑपरेशन के अगले दिन मरीज को वॉकर से चलाया जाता है। सर्जरी के सात दिन बाद मरीज हल्के-फुल्के काम करने में समर्थ हो जाता है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2VWUW4A
हिप रिप्लेसमेंट में कारगर है डेल्टा मोशन, जानें इसके बारे में

हिप रिप्लेसमेंट में इन दिनों डेल्टा मोशन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इस तकनीक के जरिए ट्रांसप्लांट हिप काफी हद तक नेचुरल हिप की तरह काम करता है। इसमें डिस्लोकेशन की आशंका न के बराबर रहती हैं।

युवाओं में समस्या -
हिप से जुड़ी समस्याओं को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। बदलती जीवनशैली के कारण हमारा ध्यान सिर्फ घुटनों पर ही जाता है। हिप्स के जोड़ में होने वाली समस्या सिर्फ बुढ़ापे की नहीं बल्कि युवाओं में भी सामने आई है। तीस से चालीस साल के व्यक्तियों में भी आज के समय में ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

लापरवाही पड़ सकती है भारी : कमरदर्द के सही नहीं होने के पीछे कई बार हिप की समस्या होना सामने आया है। कूल्हे की समस्या अधिकांश व्यक्तियों में बीमारी की अंतिम अवस्था में पता चलती है। अगर शुरुआत में पता चल जाए तो नियमित व्यायाम और कुछ दवाओं की मदद से इससे बचा जा सकता है। कूल्हे की हड्डी घिसने के कई कारण हो सकते हैं जैसे पुरानी चोट, पूर्व में हुआ कूल्हे का ऑपरेशन, टांगे चौड़ी नहीं कर सकना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

आम होते हैं लक्षण -
कूल्हे के घिसने से उसके मुड़ने और गोल घूमने की क्षमता पर असर पड़ता है। व्यक्ति को पालथी मारने और उकडू बैठने में परेशानी आती है। कई बार मरीज की कमर में दर्द रहने लगता है। दवा और फिजियोथैरेपी लेने के बाद भी यह दर्द दूर नहीं होता क्योंकि असली समस्या कमर में नहीं हिप के घिसने की होती है।

ट्रांसप्लांट की लंबी उम्र -
हिप ट्रांसप्लांट सर्जरी के दौरान कूल्हे के घिसे हिस्से को निकाल कर आर्टिफिशियल हिप लगाया जाता है जो कि विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। उसमें से एक होता है डीएम (डेल्टा मोशन)। सेरेमिक और टाइटेनियम से बने इस कृत्रिम कूल्हे की घिसने की गति और मात्रा कम होती है, जिससे इसकी उम्र लंबी हो जाती है। ऑपरेशन के अगले दिन मरीज को वॉकर से चलाया जाता है। सर्जरी के सात दिन बाद मरीज हल्के-फुल्के काम करने में समर्थ हो जाता है।

http://bit.ly/2WN2FQ0 Patrika : India's Leading Hindi News Portal

Post Bottom Ad

Pages