google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 जानिए बहरेपन के कारणों के बारे में - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

नए नुस्खे

Home Top Ad

Post Top Ad

जानिए बहरेपन के कारणों के बारे में

कान ध्वनि तरंगों को मस्तिष्क तक पहुंचाता है। सुनने की क्षमता से ही हमारे आसपास उत्पन्न हो रही किसी ध्वनि को हम सुन पाते हैं। सुनने की कमी अकेलापन महसूस कराती है जिससे पारिवारिक व व्यावसायिक जीवन प्रभावित होता है।

लक्षणों को पहचानें -
जन्म से एक साल तक की उम्र या बाद में बहुत तेज आवाज में भी घबराने, चौंकनें व डरने जैसी प्रतिक्रिया न देना।
आवाज देने पर कोई हरकत न करना।
दो वर्ष की आयु में भी बोल न पाना।
टीवी या रेडियो को काफी तेज आवाज में सुनना।
अभिभावकों द्वारा नए शब्दों को न समझ पाना।

वजह: कान के पर्दे में छेद, कान की नस का खराब होना, दिमाग में किसी प्रकार के ट्यूमर का बनना, जन्मजात न सुन पाना या कान की विकृति से भी यह समस्या हो सकती है।
जांचें: मूल वजह को जानने के लिए बच्चे व बड़े दोनों में अलग-अलग जांचें की जाती हैं। ऑबिट्री ब्रेन स्टेम रिस्पॉन्स (एबीआर) बच्चों में की जाती है और बड़ों में रोग के कारण को जानने के लिए ऑडियोमेट्री जांच होती है। आजकल जन्म के तुरंत बाद ही बच्चे में ऑटोएकॉस्टिक एमिशन (ओएई) मशीन से कान से जुड़ी समस्या का पहले ही पता लगा लिया जाता है।
उपचार: पांच साल की उम्र तक बच्चों के दिमाग का विकास होता रहता है। इसलिए लक्षण दिखें तो तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ को दिखा लेना चाहिए। ऐसे में हियरिंग एड मशीन को कान के बाहर लगाने की सलाह दी जाती है। इससे भी सुनाई न दे तो सर्जरी कर कॉक्लियर इंप्लांट करते हैं



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2JseSGx
जानिए बहरेपन के कारणों के बारे में

कान ध्वनि तरंगों को मस्तिष्क तक पहुंचाता है। सुनने की क्षमता से ही हमारे आसपास उत्पन्न हो रही किसी ध्वनि को हम सुन पाते हैं। सुनने की कमी अकेलापन महसूस कराती है जिससे पारिवारिक व व्यावसायिक जीवन प्रभावित होता है।

लक्षणों को पहचानें -
जन्म से एक साल तक की उम्र या बाद में बहुत तेज आवाज में भी घबराने, चौंकनें व डरने जैसी प्रतिक्रिया न देना।
आवाज देने पर कोई हरकत न करना।
दो वर्ष की आयु में भी बोल न पाना।
टीवी या रेडियो को काफी तेज आवाज में सुनना।
अभिभावकों द्वारा नए शब्दों को न समझ पाना।

वजह: कान के पर्दे में छेद, कान की नस का खराब होना, दिमाग में किसी प्रकार के ट्यूमर का बनना, जन्मजात न सुन पाना या कान की विकृति से भी यह समस्या हो सकती है।
जांचें: मूल वजह को जानने के लिए बच्चे व बड़े दोनों में अलग-अलग जांचें की जाती हैं। ऑबिट्री ब्रेन स्टेम रिस्पॉन्स (एबीआर) बच्चों में की जाती है और बड़ों में रोग के कारण को जानने के लिए ऑडियोमेट्री जांच होती है। आजकल जन्म के तुरंत बाद ही बच्चे में ऑटोएकॉस्टिक एमिशन (ओएई) मशीन से कान से जुड़ी समस्या का पहले ही पता लगा लिया जाता है।
उपचार: पांच साल की उम्र तक बच्चों के दिमाग का विकास होता रहता है। इसलिए लक्षण दिखें तो तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ को दिखा लेना चाहिए। ऐसे में हियरिंग एड मशीन को कान के बाहर लगाने की सलाह दी जाती है। इससे भी सुनाई न दे तो सर्जरी कर कॉक्लियर इंप्लांट करते हैं

http://bit.ly/2HqYx2G Patrika : India's Leading Hindi News Portal

Post Bottom Ad

Pages