रोग बच्चे के जन्म के बाद 24 घंटे से एक हफ्ते के बीच हो सकता है
सिर्फ मच्छर के काटने से ही नवजात को मलेरिया नहीं होता बल्कि मां से भी यह रोग मिलता है जिसे कॉन्जिनाइटल मलेरिया कहते हैं। यह रोग उसे जन्म के बाद 24 घंटे से एक हफ्ते के बीच हो सकता है।
लक्षण : गर्भावस्था के दौरान मां का मलेरिया रोग से ग्रस्त होना बच्चे में भी रोग की आशंका बढ़ा देता है। शिशु में जन्म लेते ही बुखार, शुगर का स्तर कम होने, दौरे आने, एनीमिया व किडनी की कार्यप्रणाली बिगडऩे जैसी दिक्कतें होने पर जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
इलाज : शुगर (ग्लूकोज) लेवल कंट्रोल करने के लिए आईवी (इन्ट्रावीनस) फ्लूइड और एंटीमलेरियल दवाएं देते हैं।
ऐसे होती पहचान : सामान्यत: जन्म के बाद सेप्टीसीमिया (बैक्टीरियल इंफेक्शन) के कारण भी बच्चे को हल्का या तेज बुखार आ सकता है जो एंटीबायोटिक दवाओं से उतर जाता है। लेकिन दवा देने के बाद भी बुखार न उतरे और अन्य लक्षण भी सामने आएं तो मलेरिया की जांच से बच्चे में इस रोग का पता चल जाता है।
डॉ. विष्णु अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ
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प्रेग्नेंसी में बरतें खास सावधानी
रोग बच्चे के जन्म के बाद 24 घंटे से एक हफ्ते के बीच हो सकता है
सिर्फ मच्छर के काटने से ही नवजात को मलेरिया नहीं होता बल्कि मां से भी यह रोग मिलता है जिसे कॉन्जिनाइटल मलेरिया कहते हैं। यह रोग उसे जन्म के बाद 24 घंटे से एक हफ्ते के बीच हो सकता है।
लक्षण : गर्भावस्था के दौरान मां का मलेरिया रोग से ग्रस्त होना बच्चे में भी रोग की आशंका बढ़ा देता है। शिशु में जन्म लेते ही बुखार, शुगर का स्तर कम होने, दौरे आने, एनीमिया व किडनी की कार्यप्रणाली बिगडऩे जैसी दिक्कतें होने पर जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
इलाज : शुगर (ग्लूकोज) लेवल कंट्रोल करने के लिए आईवी (इन्ट्रावीनस) फ्लूइड और एंटीमलेरियल दवाएं देते हैं।
ऐसे होती पहचान : सामान्यत: जन्म के बाद सेप्टीसीमिया (बैक्टीरियल इंफेक्शन) के कारण भी बच्चे को हल्का या तेज बुखार आ सकता है जो एंटीबायोटिक दवाओं से उतर जाता है। लेकिन दवा देने के बाद भी बुखार न उतरे और अन्य लक्षण भी सामने आएं तो मलेरिया की जांच से बच्चे में इस रोग का पता चल जाता है।
डॉ. विष्णु अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ