google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 इंटरनेट पर सेहत के टिप्स सावधानी से अपनाएं - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

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इंटरनेट पर सेहत के टिप्स सावधानी से अपनाएं

एलोपैथी
बिना डॉक्टरी सलाह के ली जाने वाली दवाएं 'ओवर द काउंटर' असर करती हैं। ऐसे में रोग से अनजान होकर केवल लक्षणों को महसूस कर व्यक्ति दवाओं का चयन करता है। इससे कई बार व्यक्ति को जिस रोग के लिए दवा लेनी चाहिए उसकी दवा वह नहीं लेता जिससे उसे स्थायी रूप से तो राहत मिलती है लेकिन साइड इफेक्ट लंबे समय तक रहते हैं। कई बार एक समस्या का हल तो होता है लेकिन दूसरी नई दिक्कत होने की आशंका रहती है। दवा की हर डोज शारीरिक संरचना और रोग की गंभीरता पर निर्भर करती है। एलौपैथी में किसी भी दवा को बिना डॉक्टरी परामर्श के लेना किसी बड़े संकट को न्योता देने से कम नहीं है। जितना हो सके ऑनलाइन नुस्खों से दूरी बनाई जाए।
डॉ. जीडी रामचंदानी, जनरल फिजिशियन
होम्योपैथी
होम्योपैथी में बीमारी के लक्षण, गंभीरता के आधार पर दवा तय की जाती है। हर दवा अलग पोटेंसी और समय अंतराल में असर करती है। एक ही रोग से पीडि़त दो मरीज हों तो उनकी दवा उनके स्वभाव, आदतों के अनुसार दी जाती हैं। साथ ही दवाइयों के असर करने की अवधि भी अलग हो सकती है।
डॉ. एमएल जैन 'मणि', होम्योपैथी विशेषज्ञ
आयुर्वेद
इस पद्धति से कई रोगों का इलाज आसानी से हो सकता है। कई बार घरेलू चीजें ही काफी मददगार होती हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर मौजूद नुस्खों को लोग आसानी से अपना भी लेते हैं। आयुर्वेद में मौजूद जड़ी-बूटियों और अन्य चीजों की तासीर अलग-अलग होती है। मरीज की शारीरिक प्रकृति (वात-पित्त-कफ), संरचना और स्वभाव के बाद ही यह निर्धारित किया जाता है कि कौनसी जड़ी-बूटी उसके रोग के अनुसार दी जाए। उदाहरण के तौर पर कफ प्रकृति वाले को कब्ज के इलाज के लिए ईसबगोल दिया जाए तो असर होगा लेकिन वात प्रकृति वाले को इसका असर न के बराबर या कम होगा। कोई भी दवा लेने से पहले विशेषज्ञ से चर्चा जरूर करें।
डॉ. गिरधर गोपाल शर्मा, आयुर्वेद विशेषज्ञ



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2KfIUwO
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एलोपैथी
बिना डॉक्टरी सलाह के ली जाने वाली दवाएं 'ओवर द काउंटर' असर करती हैं। ऐसे में रोग से अनजान होकर केवल लक्षणों को महसूस कर व्यक्ति दवाओं का चयन करता है। इससे कई बार व्यक्ति को जिस रोग के लिए दवा लेनी चाहिए उसकी दवा वह नहीं लेता जिससे उसे स्थायी रूप से तो राहत मिलती है लेकिन साइड इफेक्ट लंबे समय तक रहते हैं। कई बार एक समस्या का हल तो होता है लेकिन दूसरी नई दिक्कत होने की आशंका रहती है। दवा की हर डोज शारीरिक संरचना और रोग की गंभीरता पर निर्भर करती है। एलौपैथी में किसी भी दवा को बिना डॉक्टरी परामर्श के लेना किसी बड़े संकट को न्योता देने से कम नहीं है। जितना हो सके ऑनलाइन नुस्खों से दूरी बनाई जाए।
डॉ. जीडी रामचंदानी, जनरल फिजिशियन
होम्योपैथी
होम्योपैथी में बीमारी के लक्षण, गंभीरता के आधार पर दवा तय की जाती है। हर दवा अलग पोटेंसी और समय अंतराल में असर करती है। एक ही रोग से पीडि़त दो मरीज हों तो उनकी दवा उनके स्वभाव, आदतों के अनुसार दी जाती हैं। साथ ही दवाइयों के असर करने की अवधि भी अलग हो सकती है।
डॉ. एमएल जैन 'मणि', होम्योपैथी विशेषज्ञ
आयुर्वेद
इस पद्धति से कई रोगों का इलाज आसानी से हो सकता है। कई बार घरेलू चीजें ही काफी मददगार होती हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर मौजूद नुस्खों को लोग आसानी से अपना भी लेते हैं। आयुर्वेद में मौजूद जड़ी-बूटियों और अन्य चीजों की तासीर अलग-अलग होती है। मरीज की शारीरिक प्रकृति (वात-पित्त-कफ), संरचना और स्वभाव के बाद ही यह निर्धारित किया जाता है कि कौनसी जड़ी-बूटी उसके रोग के अनुसार दी जाए। उदाहरण के तौर पर कफ प्रकृति वाले को कब्ज के इलाज के लिए ईसबगोल दिया जाए तो असर होगा लेकिन वात प्रकृति वाले को इसका असर न के बराबर या कम होगा। कोई भी दवा लेने से पहले विशेषज्ञ से चर्चा जरूर करें।
डॉ. गिरधर गोपाल शर्मा, आयुर्वेद विशेषज्ञ

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