दुनियाभर में हर साल साढ़े तीन लाख महिलाओं को प्रसव के बाद जान गंवानी पड़ती है। इस आंकड़े को कम करने के लिए लाइफरैप सूट उपयोगी साबित हो सकता है जो पोस्ट पार्टम हेमरेज यानी प्रसव के बाद रक्तस्त्राव को रोककर मां की जान बचाता है। यह मेट्रो सिटीज में उपलब्ध है।
शरीर के चार हिस्सों में प्रेशर के साथ बांधते हैं -
स्पेशल स्ट्रेचेबल फाइबर से बना नॉन न्युमेटिक एंटी शॉक गारमेंट को स्पेस सूट या लाइफरैप सूट के नाम से भी जाना जाता है। इसके चार सेग्मेंट होते हैं। पेट, जांघ, घुटना और पिंडली वाले हिस्से पर इसे निश्चित प्रेशर के साथ बांधा जाता है। यह दिमाग और हृदय तक रक्तसंचार को सामान्य करता है। साथ ही इलाज मिलने तक के लिए 4-5 घंटे की समयावधि को बढ़ा भी देता है। इससे यदि कोई महिला इमरजेंसी में एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचे या उसे लेबर रूम से ऑपरेशन थियेटर भी ले जाना पड़े तो उसकी जान बचाने में मदद मिलती है।
प्रसव के पांच मिनट बाद भी ब्लीडिंग न रुके तो इसे पहनाएं -
प्रसव के बाद इसे महिला को पहनाकर रक्तसंचार को नियमित करते हैं ताकि अधिक ब्लीडिंग से होने वाली मौतें रोकी जा सकें। ज्यादातर मौतों की वजह एनीमिया, पूर्व में हुए ऑपरेशन, गर्भस्थ शिशु का आकार में बड़ा होना होता है। सामान्यत: प्रसव के 3-5 मिनट के बाद रक्तस्त्राव बंद हो जाता है लेकिन कई मामलोंं में मांसपेशियों के सिकुड़ने की क्षमता कमजोर होने से रक्त लगातार बहता रहता है। ऐसे में रक्तप्रवाह पेट के निचले हिस्से व पैरों में बढ़कर जमने लगता है। इससे दिमाग, फेफड़े व हृदय तक रक्त नहीं पहुंच पाता और ऑक्सीजन की कमी से महिला के कोमा में जाने, हृदय का काम करना बंद करने, गर्भाशय निकालने व मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में अत्यधिक रक्तस्त्राव और धड़कनों के बढऩे पर इस सूट को पहनाया जाता है।
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ये सूट पहनने से प्रसव के दौरान नहीं होगी ब्लीडिंग, जानें इसके बारे में
दुनियाभर में हर साल साढ़े तीन लाख महिलाओं को प्रसव के बाद जान गंवानी पड़ती है। इस आंकड़े को कम करने के लिए लाइफरैप सूट उपयोगी साबित हो सकता है जो पोस्ट पार्टम हेमरेज यानी प्रसव के बाद रक्तस्त्राव को रोककर मां की जान बचाता है। यह मेट्रो सिटीज में उपलब्ध है।
शरीर के चार हिस्सों में प्रेशर के साथ बांधते हैं -
स्पेशल स्ट्रेचेबल फाइबर से बना नॉन न्युमेटिक एंटी शॉक गारमेंट को स्पेस सूट या लाइफरैप सूट के नाम से भी जाना जाता है। इसके चार सेग्मेंट होते हैं। पेट, जांघ, घुटना और पिंडली वाले हिस्से पर इसे निश्चित प्रेशर के साथ बांधा जाता है। यह दिमाग और हृदय तक रक्तसंचार को सामान्य करता है। साथ ही इलाज मिलने तक के लिए 4-5 घंटे की समयावधि को बढ़ा भी देता है। इससे यदि कोई महिला इमरजेंसी में एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचे या उसे लेबर रूम से ऑपरेशन थियेटर भी ले जाना पड़े तो उसकी जान बचाने में मदद मिलती है।
प्रसव के पांच मिनट बाद भी ब्लीडिंग न रुके तो इसे पहनाएं -
प्रसव के बाद इसे महिला को पहनाकर रक्तसंचार को नियमित करते हैं ताकि अधिक ब्लीडिंग से होने वाली मौतें रोकी जा सकें। ज्यादातर मौतों की वजह एनीमिया, पूर्व में हुए ऑपरेशन, गर्भस्थ शिशु का आकार में बड़ा होना होता है। सामान्यत: प्रसव के 3-5 मिनट के बाद रक्तस्त्राव बंद हो जाता है लेकिन कई मामलोंं में मांसपेशियों के सिकुड़ने की क्षमता कमजोर होने से रक्त लगातार बहता रहता है। ऐसे में रक्तप्रवाह पेट के निचले हिस्से व पैरों में बढ़कर जमने लगता है। इससे दिमाग, फेफड़े व हृदय तक रक्त नहीं पहुंच पाता और ऑक्सीजन की कमी से महिला के कोमा में जाने, हृदय का काम करना बंद करने, गर्भाशय निकालने व मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में अत्यधिक रक्तस्त्राव और धड़कनों के बढऩे पर इस सूट को पहनाया जाता है।