google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आयुर्वेद से पा सकते हैं दीर्घायु होने का मंत्र - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

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आयुर्वेद से पा सकते हैं दीर्घायु होने का मंत्र

लंबी उम्र देने वाली दिनचर्या
आयुर्वेद के ग्रंथों में दीर्घायु पाने के कई साधन बताए गए हैं। संतुलित नींद लेने वाला, दयाभाव रखने वाला, इंद्रियों पर संयम रखने वाला, नित्य क्रियाओं को न रोकने वाला व्यक्ति स्वस्थ रहता है। दिनचर्या व ऋतु के अनुसार नियमों का पालन करने वाला व्यक्ति सेहत और लंबी उम्र पाता है। सुबह उठकर पानी पीने के साथ बाईं करवट सोने वाला, दिन में दो बार भोजन करने वाला, दिन-रात में छह बार मूत्र त्याग करने के साथ दो बार मल त्याग करने वाला व संयमित जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति ही लंबी उम्र पाता है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि गीले पैर भोजन करने से आयु बढ़ती है व गीले पैर सोने से आयु कम होती है। सूर्योदय से पहले उठना व स्नान करना भी लाभ पहुंचाता है।
पानी, मट्ठा व दूध जरूरी
महर्षि चरक ने कहा है कि पौष्टिक आहार करने वाला व्यक्ति बिना किसी रोग के छत्तीस हजार रात्रि अर्थात सौ वर्ष तक जीता है। भोजन को अच्छे से चबाकर खाने से दांतों का काम आंतों को नहीं करना पड़ता। पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। सुबह के भोजन के साथ पानी, दोपहर के भोजन के बाद मट्ठा व रात के भोजन के बाद दूध पीने वाले को वैद्य की आवश्यकता नहीं पड़ती। भोजन करके टहलने से भी उम्र बढ़ती है।
आंवला है लाभदायक
चरक संहिता में आंवले को सर्वश्रेष्ठ व्यवस्थापक कहा गया है। वर्तमान युग में इसे खाने वाला व्यक्ति सौ वर्ष की आयु जीता है। एक वर्ष तक त्रिफला चूर्ण को लोहे की नई कड़ाही में लेप करके 24 घंटे रखकर उसमें शहद और पानी मिलाकर एक वर्ष तक रोजाना पीने वाला व्यक्ति सौ वर्ष की आयु का उपभोग करता है। त्रिफला के घटक- एक बहेड़ा भोजन से पहले, चार आंवला भोजन के बाद व भोजन पचने पर एक हरीतकी के चूर्ण का प्रयोग एक वर्ष तक करने से व्यक्ति दीर्घायु प्राप्त करता है।
ये भी गुणकारी
सुश्रुत संहिता में लिखा है कि चिकित्सक के अनुसार विधि भल्लातक, शतपाक बला तेल, वराहीकन्द रसायन योग, श्वेत बाकुची के बने रसायन, मंडूकपर्णी स्वरस और स्नेहपान के उपयोग से दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
अनूप कुमार गक्खड़, आयुर्वेद विशेषज्ञ



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आयुर्वेद से पा सकते हैं दीर्घायु होने का मंत्र

लंबी उम्र देने वाली दिनचर्या
आयुर्वेद के ग्रंथों में दीर्घायु पाने के कई साधन बताए गए हैं। संतुलित नींद लेने वाला, दयाभाव रखने वाला, इंद्रियों पर संयम रखने वाला, नित्य क्रियाओं को न रोकने वाला व्यक्ति स्वस्थ रहता है। दिनचर्या व ऋतु के अनुसार नियमों का पालन करने वाला व्यक्ति सेहत और लंबी उम्र पाता है। सुबह उठकर पानी पीने के साथ बाईं करवट सोने वाला, दिन में दो बार भोजन करने वाला, दिन-रात में छह बार मूत्र त्याग करने के साथ दो बार मल त्याग करने वाला व संयमित जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति ही लंबी उम्र पाता है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि गीले पैर भोजन करने से आयु बढ़ती है व गीले पैर सोने से आयु कम होती है। सूर्योदय से पहले उठना व स्नान करना भी लाभ पहुंचाता है।
पानी, मट्ठा व दूध जरूरी
महर्षि चरक ने कहा है कि पौष्टिक आहार करने वाला व्यक्ति बिना किसी रोग के छत्तीस हजार रात्रि अर्थात सौ वर्ष तक जीता है। भोजन को अच्छे से चबाकर खाने से दांतों का काम आंतों को नहीं करना पड़ता। पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। सुबह के भोजन के साथ पानी, दोपहर के भोजन के बाद मट्ठा व रात के भोजन के बाद दूध पीने वाले को वैद्य की आवश्यकता नहीं पड़ती। भोजन करके टहलने से भी उम्र बढ़ती है।
आंवला है लाभदायक
चरक संहिता में आंवले को सर्वश्रेष्ठ व्यवस्थापक कहा गया है। वर्तमान युग में इसे खाने वाला व्यक्ति सौ वर्ष की आयु जीता है। एक वर्ष तक त्रिफला चूर्ण को लोहे की नई कड़ाही में लेप करके 24 घंटे रखकर उसमें शहद और पानी मिलाकर एक वर्ष तक रोजाना पीने वाला व्यक्ति सौ वर्ष की आयु का उपभोग करता है। त्रिफला के घटक- एक बहेड़ा भोजन से पहले, चार आंवला भोजन के बाद व भोजन पचने पर एक हरीतकी के चूर्ण का प्रयोग एक वर्ष तक करने से व्यक्ति दीर्घायु प्राप्त करता है।
ये भी गुणकारी
सुश्रुत संहिता में लिखा है कि चिकित्सक के अनुसार विधि भल्लातक, शतपाक बला तेल, वराहीकन्द रसायन योग, श्वेत बाकुची के बने रसायन, मंडूकपर्णी स्वरस और स्नेहपान के उपयोग से दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
अनूप कुमार गक्खड़, आयुर्वेद विशेषज्ञ

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