इन दिनों डेंगू, चिकनगुनिया व स्क्रब टायफस के मामले सामने आ रहे हैं। इन बीमारियों के लक्षणों, बचाव व उपचार की जानकारी होनी बहुत जरूरी है। साथ ही आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर इन रोगों को काफी हद तक कम किया जा सकता है, जानें कैसे-
डेंगू
डेंगू की शुरुआत तेज बुखार व ठंड लगने के साथ होती है। इसके शुरुआती लक्षणों में रोगी को तेज सर्दी लगने के साथ सिरदर्द, कमरदर्द व आंखों में तेज दर्द हो सकता है। लगातार तेज बुखार के अलावा, जोड़ों में दर्द, बेचैनी, उल्टियां और लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके उपचार में अगर अधिक देरी हो जाए तो यह डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएएफ) का रूप ले लेता है और अधिक भयावह हो सकता है। ऐसी स्थिति की आशंका दस साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा होती है। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट
जेके लोन अस्पताल, जयपुर के अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता के अनुसार लक्षण दिखते ही मरीज को अधिक से अधिक पानी पिलाएं व आराम कराएं। बुखार बढऩे पर पैरासिटामॉल हर ४-६ घंटे में देते रहें, शरीर ढककर रखें, मच्छरों से बचाएं। बीपी या प्लेटलेट्स गिरने पर डॉक्टर से मिलें।
घरेलू उपचार
वैद्य कैलाश महारिया के अनुसार लक्षण दिखते ही पपीते के पत्तों का रस व गिलोय बेल का काढ़ा रोगी को ३-४ बार पिलाएं। रोगी यदि उल्टी करे तो सेब के रस में थोड़ा नींबू मिलाकर दें। नीम व तुलसी का काढ़ा 20 से 50 मिलीलीटर पीने से डेंगू में लाभ होता है।
चिकनगुनिया
इसके शुरुआती लक्षण डेंगू जैसे ही हैं लेकिन इसमें बुखार 102 से 104 डिग्री से. तक पहुंच जाता है व त्वचा खुश्क हो जाती है। जोड़ों में तेज दर्द रोग का प्रमुख लक्षण है। मरीज को तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव व दर्द, चक्कर व उल्टी जैसा महसूस होता है। इससे पीडि़त गर्भवती महिला से होने वाले बच्चे को रोग का जोखिम बना रहता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट
डॉ. विजयप्रकाश शर्मा कहते हैं कि इस दौरान आराम करें। अधिक तली-भुनी व गरिष्ठ चीजें खाने से परहेज करें। बर्फ तौलिए में लपेटकर जोड़ों पर रखें व हल्के हाथों से दबाएं। रोग से उभरने के बाद मुंह में छालों की समस्या रहती है जिसका कारण दवाओं की गर्मी है। ऐसे में पानी पीते रहें।
घरेलू उपचार
वैद्य दिनेश शर्मा कहते हैं कि ऐसे में पपीता व करेले खाएं। करेले का जूस बुखार में लाभ देता है। गिलोय का रस पीना भी फायदेमंद है। तुलसी के पत्तों के साथ काली मिर्च को पानी में उबाल लें और पिएं। गुनगुना पानी व सूप अधिक लें इससे तेजी से फायदा होता है।
स्क्रब टायफस
स्क्रब टायफस बुखार न केवल जानलेवा है बल्कि इससे शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। पिस्सुओं के काटने से रोगी की सुधबुध खोने से लेकर लकवे जैसे विकारों की आशंका बढ़ती है। साथ ही प्लेटलेट्स घटने, 102-103 डिग्री तेज बुखार, सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व कमजोरी जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
मेडिकल ट्रीटमेेंट
एसएमएस अस्पताल, जयपुर के सहायक आचार्य डॉ. श्रीकांत शर्मा के अनुसार लक्षण पहचानने के बाद तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। घर के आसपास कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करें। एलाइजा टैस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टैस्ट से स्क्रब टायफस एंटीबॉडीज का पता लगाते हैं। इसके लिए 7-14 दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है।
घरेलू उपचार
रोग से बचाव के लिए घर के आसपास उगी घास व झाडिय़ों की नियमित छंटाई करवाएं। साथ ही जिनके घर के आसपास हरियाली ज्यादा हो वे पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें। घास के बीच चलते वक्त जूतों का इस्तेमाल करें। बुखार होने पर डॉक्टर से चेकअप कराएं व नियमित दवा लें। किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें।
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चिकनगुनिया में ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लें
इन दिनों डेंगू, चिकनगुनिया व स्क्रब टायफस के मामले सामने आ रहे हैं। इन बीमारियों के लक्षणों, बचाव व उपचार की जानकारी होनी बहुत जरूरी है। साथ ही आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर इन रोगों को काफी हद तक कम किया जा सकता है, जानें कैसे-
डेंगू
डेंगू की शुरुआत तेज बुखार व ठंड लगने के साथ होती है। इसके शुरुआती लक्षणों में रोगी को तेज सर्दी लगने के साथ सिरदर्द, कमरदर्द व आंखों में तेज दर्द हो सकता है। लगातार तेज बुखार के अलावा, जोड़ों में दर्द, बेचैनी, उल्टियां और लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके उपचार में अगर अधिक देरी हो जाए तो यह डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएएफ) का रूप ले लेता है और अधिक भयावह हो सकता है। ऐसी स्थिति की आशंका दस साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा होती है। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट
जेके लोन अस्पताल, जयपुर के अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता के अनुसार लक्षण दिखते ही मरीज को अधिक से अधिक पानी पिलाएं व आराम कराएं। बुखार बढऩे पर पैरासिटामॉल हर ४-६ घंटे में देते रहें, शरीर ढककर रखें, मच्छरों से बचाएं। बीपी या प्लेटलेट्स गिरने पर डॉक्टर से मिलें।
घरेलू उपचार
वैद्य कैलाश महारिया के अनुसार लक्षण दिखते ही पपीते के पत्तों का रस व गिलोय बेल का काढ़ा रोगी को ३-४ बार पिलाएं। रोगी यदि उल्टी करे तो सेब के रस में थोड़ा नींबू मिलाकर दें। नीम व तुलसी का काढ़ा 20 से 50 मिलीलीटर पीने से डेंगू में लाभ होता है।
चिकनगुनिया
इसके शुरुआती लक्षण डेंगू जैसे ही हैं लेकिन इसमें बुखार 102 से 104 डिग्री से. तक पहुंच जाता है व त्वचा खुश्क हो जाती है। जोड़ों में तेज दर्द रोग का प्रमुख लक्षण है। मरीज को तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव व दर्द, चक्कर व उल्टी जैसा महसूस होता है। इससे पीडि़त गर्भवती महिला से होने वाले बच्चे को रोग का जोखिम बना रहता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट
डॉ. विजयप्रकाश शर्मा कहते हैं कि इस दौरान आराम करें। अधिक तली-भुनी व गरिष्ठ चीजें खाने से परहेज करें। बर्फ तौलिए में लपेटकर जोड़ों पर रखें व हल्के हाथों से दबाएं। रोग से उभरने के बाद मुंह में छालों की समस्या रहती है जिसका कारण दवाओं की गर्मी है। ऐसे में पानी पीते रहें।
घरेलू उपचार
वैद्य दिनेश शर्मा कहते हैं कि ऐसे में पपीता व करेले खाएं। करेले का जूस बुखार में लाभ देता है। गिलोय का रस पीना भी फायदेमंद है। तुलसी के पत्तों के साथ काली मिर्च को पानी में उबाल लें और पिएं। गुनगुना पानी व सूप अधिक लें इससे तेजी से फायदा होता है।
स्क्रब टायफस
स्क्रब टायफस बुखार न केवल जानलेवा है बल्कि इससे शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। पिस्सुओं के काटने से रोगी की सुधबुध खोने से लेकर लकवे जैसे विकारों की आशंका बढ़ती है। साथ ही प्लेटलेट्स घटने, 102-103 डिग्री तेज बुखार, सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व कमजोरी जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
मेडिकल ट्रीटमेेंट
एसएमएस अस्पताल, जयपुर के सहायक आचार्य डॉ. श्रीकांत शर्मा के अनुसार लक्षण पहचानने के बाद तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। घर के आसपास कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करें। एलाइजा टैस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टैस्ट से स्क्रब टायफस एंटीबॉडीज का पता लगाते हैं। इसके लिए 7-14 दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है।
घरेलू उपचार
रोग से बचाव के लिए घर के आसपास उगी घास व झाडिय़ों की नियमित छंटाई करवाएं। साथ ही जिनके घर के आसपास हरियाली ज्यादा हो वे पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें। घास के बीच चलते वक्त जूतों का इस्तेमाल करें। बुखार होने पर डॉक्टर से चेकअप कराएं व नियमित दवा लें। किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें।