google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 चीनी की अत्यधिक खपत लंबी अवधि में हानिकारक - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

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चीनी की अत्यधिक खपत लंबी अवधि में हानिकारक

प्रत्येक भारतीय सालाना लगभग 20 किलोग्राम चीनी का उपभोग करता है। ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि चीनी अच्छी नहीं होती है और यह नशे की लत जैसी है। जीवनशैली की सबसे आम बीमारियों में से एक, टाइप2 मधुमेह, चीनी की अतिसंवेदनशीलता के कारण होती है। जो लोग नियमित रूप से बहुत अधिक चीनी का उपभोग करते हैं, उनके पैंक्रियास बहुत अधिक इंसुलिन उत्पन्न करते हैं और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन प्रतिरोध विकसित करती हैं। इसका मतलब यह है कि ग्लूकोज को आसानी से शरीर की कोशिकाओं में संग्रहित नहीं किया जा सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में चीनी अधिक हो जाती है।

वैश्विक स्तर पर, चीन के बाद भारत में टाइप2 मधुमेह वाले वयस्कों की सबसे ज्यादा संख्या है। भारत में टाइप2 मधुमेह से पीडि़त लोगों की संख्या वर्तमान में 7.2 करोड़ से बढ़ कर वर्ष 2045 तक 15.1 करोड़ होने की संभावना है। जब हम चीनी खाते हैं, तो मस्तिष्क बड़ी मात्रा में डोपामाइन, यानी अच्छा महसूस करने वाला एक हार्मोन पैदा करता है।

बाजार में उपलब्ध अधिकांश प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में खूब सारी चीनी मिलाई जाती है, ताकि हम केचप, दही, पेस्ट्री और इसी तरह के अन्य प्रोडक्ट अधिकाधिक उपभोग करने के लिए प्रेरित हों। चीनी की अतिसंवेदनशीलता मस्तिष्क को बहुत अधिक डोपामाइन छोडऩे का कारण बनती है, जिससे इसके हिस्सों को असंवेदनशील बना दिया जाता है।

हालांकि, यह अच्छी भावना केवल 15 से 40 मिनट तक चलती है। चीनी अतिसंवेदनशीलता न्यूरोलॉजिकल समस्याओं जैसे अवसाद, चिंता, डिमेंशिया और यहां तक कि अल्जाइमर से भी संबंधित है। यह मस्तिष्क को सचमुच धीमा कर स्मृति और सीखने की क्षमता घटा देती है।

खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) चीनी की तीन श्रेणियों को परिभाषित करता है : प्राकृतिक (फलों और सब्जियों में खाद्य संरचना में निर्मित), जोड़ी गई (प्रोसेसिंगऔर तैयारी के दौरान खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में शर्करा और सीरप मिलाया जाता है) और नि:शुल्क (शक्कर और स्वाभाविक रूप से शहद, सीरप, फलों के रस और फलों में मौजूद होती है)।

श्वेत शक्कर धीमा जहर है। प्रोसेस्ड सफेद चीनी पाचन तंत्र के लिए भी हानिकारक है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्हें कार्बोहाइड्रेट पचाने में कठिनाई होती है। यह महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के प्रभाव को बढ़ाती है, जो चेहरे के बाल जैसे एंड्रोजेनस अभिव्यक्तियों में होता है। प्राचीन काल में, भारत के लोग या तो गन्ने का रस, गुड़ या फिर ब्राउन शुगर (खांड) का उपभोग करते थे, और ये दोनों सुरक्षित हैं।

24 से 28 अक्टूबर के बीच होने वाले 25वें एमटीएनएल परफेक्ट हैल्थ मेला 2018 में लोग अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच कर सकते हैं। मधुमेह को रोकने के तरीके के बारे में उनके ज्ञान को बढ़ाने के लिए उन्हें कुछ दिलचस्प रिसोर्स भी मिलेंगे।



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चीनी की अत्यधिक खपत लंबी अवधि में हानिकारक

प्रत्येक भारतीय सालाना लगभग 20 किलोग्राम चीनी का उपभोग करता है। ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि चीनी अच्छी नहीं होती है और यह नशे की लत जैसी है। जीवनशैली की सबसे आम बीमारियों में से एक, टाइप2 मधुमेह, चीनी की अतिसंवेदनशीलता के कारण होती है। जो लोग नियमित रूप से बहुत अधिक चीनी का उपभोग करते हैं, उनके पैंक्रियास बहुत अधिक इंसुलिन उत्पन्न करते हैं और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन प्रतिरोध विकसित करती हैं। इसका मतलब यह है कि ग्लूकोज को आसानी से शरीर की कोशिकाओं में संग्रहित नहीं किया जा सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में चीनी अधिक हो जाती है।

वैश्विक स्तर पर, चीन के बाद भारत में टाइप2 मधुमेह वाले वयस्कों की सबसे ज्यादा संख्या है। भारत में टाइप2 मधुमेह से पीडि़त लोगों की संख्या वर्तमान में 7.2 करोड़ से बढ़ कर वर्ष 2045 तक 15.1 करोड़ होने की संभावना है। जब हम चीनी खाते हैं, तो मस्तिष्क बड़ी मात्रा में डोपामाइन, यानी अच्छा महसूस करने वाला एक हार्मोन पैदा करता है।

बाजार में उपलब्ध अधिकांश प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में खूब सारी चीनी मिलाई जाती है, ताकि हम केचप, दही, पेस्ट्री और इसी तरह के अन्य प्रोडक्ट अधिकाधिक उपभोग करने के लिए प्रेरित हों। चीनी की अतिसंवेदनशीलता मस्तिष्क को बहुत अधिक डोपामाइन छोडऩे का कारण बनती है, जिससे इसके हिस्सों को असंवेदनशील बना दिया जाता है।

हालांकि, यह अच्छी भावना केवल 15 से 40 मिनट तक चलती है। चीनी अतिसंवेदनशीलता न्यूरोलॉजिकल समस्याओं जैसे अवसाद, चिंता, डिमेंशिया और यहां तक कि अल्जाइमर से भी संबंधित है। यह मस्तिष्क को सचमुच धीमा कर स्मृति और सीखने की क्षमता घटा देती है।

खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) चीनी की तीन श्रेणियों को परिभाषित करता है : प्राकृतिक (फलों और सब्जियों में खाद्य संरचना में निर्मित), जोड़ी गई (प्रोसेसिंगऔर तैयारी के दौरान खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में शर्करा और सीरप मिलाया जाता है) और नि:शुल्क (शक्कर और स्वाभाविक रूप से शहद, सीरप, फलों के रस और फलों में मौजूद होती है)।

श्वेत शक्कर धीमा जहर है। प्रोसेस्ड सफेद चीनी पाचन तंत्र के लिए भी हानिकारक है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्हें कार्बोहाइड्रेट पचाने में कठिनाई होती है। यह महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के प्रभाव को बढ़ाती है, जो चेहरे के बाल जैसे एंड्रोजेनस अभिव्यक्तियों में होता है। प्राचीन काल में, भारत के लोग या तो गन्ने का रस, गुड़ या फिर ब्राउन शुगर (खांड) का उपभोग करते थे, और ये दोनों सुरक्षित हैं।

24 से 28 अक्टूबर के बीच होने वाले 25वें एमटीएनएल परफेक्ट हैल्थ मेला 2018 में लोग अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच कर सकते हैं। मधुमेह को रोकने के तरीके के बारे में उनके ज्ञान को बढ़ाने के लिए उन्हें कुछ दिलचस्प रिसोर्स भी मिलेंगे।

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