National handloom Day इन दिनों हैंडलूम इंडस्ट्री एक नेक्स्ट लेवल पर पहुंच गई है, जहां हैंडलूम में काफी इनोवेशन देखे जा रहे हैं। खासकर महिलाएं हैंडलूम को लेकर बहुत अच्छा काम कर रही हैं। ये महिलाएं न सिर्फ हैंडलूम के बदले हुए चेहरे को दिखा रही हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मुहैया करवा रही हैं। नेशनल हैंडलूम डे पर इन डिजाइनर्स के काम पर एक नजर-
कोटा डोरिया और खादी पर काम
सोशल वर्कर और डिजाइनर दीपा माथुर को अपने काम के लिए कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। वे कोटा डोरिया और खादी फैब्रिक को लेकर काम कर रही है। इसके अलावा ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है। हाल ही उन्होंने कैथून में सर्वे वर्क किया और वहां के विविंग आर्टिजन के साथ काम किया है। दीपा बताती हैं कि मेरी संस्था महिलाओं को नए डिजाइंस प्रोवाइड करवाने के साथ-साथ उन्हें मार्केट से भी जोड़ती है। कैथून में करीब तीन हजार महिलाएं हमसें जुड़ी हुई हैं।
पेपर में कन्वर्ट हो रहा है फैब्रिक
पिछले दो साल पहले आर्टिस्ट नीरजा पॉलीसेट्टी ने एक डिफरेंट एक्सपेरिमेंट किया। उन्होंने पेपर से फैब्रिक तैयार करने की जैपेनीज टेक्निक को जयपुर में उतारा। आज पेपर से तैयार उनके प्रोडक्ट्स को काफी सराहना मिल रही है। उन्होंने वेस्ट पेपर से फैशन एसेसरीज, स्टेशनरी और होम डेकोरेटिव आइट्म्स की एक विस्तृत रेंज उतारी है, जो लोगों को पसंद आ रही है। नीरजा बताती हैं कि पेपर को धागे में कंवर्ट करने के लिए १० साल रिसर्च वर्क किया है, उसके बाद ये प्रोडक्ट्स तैयार हुए है। ये प्रोडक्ट्स न सिर्फ ईको फै्रंडली हैं, बल्कि कई महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं।
२० साल से ऑर्गेनिक फैब्रिक को कर रही हैं प्रमोट
फैशन डिजाइनर अवनीत आडवानी पिछले २० सालों से हैंडलूम और ऑर्गेनिक फैब्रिक पर काम कर रही हैं। हैंड एम्ब्रॉयडरी और पैचवर्क उनकी विशेषता है। अवनीत कहती हैं, बाड़मेर के गांवों की ४०० महिलाओं को काम से जोड़ा हुआ है। ये सभी हैंड एम्ब्रॉयडरी करती हैं। साथ ही जयपुर में ब्लॉक प्रिंट्स का काम करते हैं। हम यूरोपियन स्टाइल के आउटफिट्स पर ज्यादा काम करते हैं। जयपुर से यूके, ऑस्ट्रेलिया और जापान तक ये आउटफिट एक्सपोर्ट किए जाते हैं। इन दिनों लोगों में पूरी तरह से हाथों से तैयार प्रोडेक्ट्स के प्रति अवेयरनेस बढ़ी है।
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नेशनल हैंडलूम डेः किसी ने पेपर से बनाए फैब्रिक...तो कोई पूरे गांव को दे रहा है रोजगार
National handloom Day इन दिनों हैंडलूम इंडस्ट्री एक नेक्स्ट लेवल पर पहुंच गई है, जहां हैंडलूम में काफी इनोवेशन देखे जा रहे हैं। खासकर महिलाएं हैंडलूम को लेकर बहुत अच्छा काम कर रही हैं। ये महिलाएं न सिर्फ हैंडलूम के बदले हुए चेहरे को दिखा रही हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मुहैया करवा रही हैं। नेशनल हैंडलूम डे पर इन डिजाइनर्स के काम पर एक नजर-
कोटा डोरिया और खादी पर काम
सोशल वर्कर और डिजाइनर दीपा माथुर को अपने काम के लिए कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। वे कोटा डोरिया और खादी फैब्रिक को लेकर काम कर रही है। इसके अलावा ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है। हाल ही उन्होंने कैथून में सर्वे वर्क किया और वहां के विविंग आर्टिजन के साथ काम किया है। दीपा बताती हैं कि मेरी संस्था महिलाओं को नए डिजाइंस प्रोवाइड करवाने के साथ-साथ उन्हें मार्केट से भी जोड़ती है। कैथून में करीब तीन हजार महिलाएं हमसें जुड़ी हुई हैं।
पेपर में कन्वर्ट हो रहा है फैब्रिक
पिछले दो साल पहले आर्टिस्ट नीरजा पॉलीसेट्टी ने एक डिफरेंट एक्सपेरिमेंट किया। उन्होंने पेपर से फैब्रिक तैयार करने की जैपेनीज टेक्निक को जयपुर में उतारा। आज पेपर से तैयार उनके प्रोडक्ट्स को काफी सराहना मिल रही है। उन्होंने वेस्ट पेपर से फैशन एसेसरीज, स्टेशनरी और होम डेकोरेटिव आइट्म्स की एक विस्तृत रेंज उतारी है, जो लोगों को पसंद आ रही है। नीरजा बताती हैं कि पेपर को धागे में कंवर्ट करने के लिए १० साल रिसर्च वर्क किया है, उसके बाद ये प्रोडक्ट्स तैयार हुए है। ये प्रोडक्ट्स न सिर्फ ईको फै्रंडली हैं, बल्कि कई महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं।
२० साल से ऑर्गेनिक फैब्रिक को कर रही हैं प्रमोट
फैशन डिजाइनर अवनीत आडवानी पिछले २० सालों से हैंडलूम और ऑर्गेनिक फैब्रिक पर काम कर रही हैं। हैंड एम्ब्रॉयडरी और पैचवर्क उनकी विशेषता है। अवनीत कहती हैं, बाड़मेर के गांवों की ४०० महिलाओं को काम से जोड़ा हुआ है। ये सभी हैंड एम्ब्रॉयडरी करती हैं। साथ ही जयपुर में ब्लॉक प्रिंट्स का काम करते हैं। हम यूरोपियन स्टाइल के आउटफिट्स पर ज्यादा काम करते हैं। जयपुर से यूके, ऑस्ट्रेलिया और जापान तक ये आउटफिट एक्सपोर्ट किए जाते हैं। इन दिनों लोगों में पूरी तरह से हाथों से तैयार प्रोडेक्ट्स के प्रति अवेयरनेस बढ़ी है।