किडनी में पथरी ऐसी स्थिति है जिसमें इस अंग में छोटे-छोटे कण बनने लगते हैं जो एक-दूसरे से जुडक़र पथरी का रूप ले लेते हैं। पथरी किडनी में एक या इससे ज्यादा संख्या में हो सकती हैं। सामान्यत: पथरी बेहद छोटे आकार की होती है जो यूरिन के रास्ते स्वत: निकल जाती है लेकिन यदि ये सामान्य आकार से बड़ी हो जाए तो मूत्रमार्ग में रुकावट आती है। जिससे तेज जलन, दर्द व रक्तस्त्राव हो सकता है। आयुर्वेद में इसे ‘वृक्कअष्मरी’ कहते हैं।
कारण : खराब जीवनशैली, देर तक धूप में रहने पर शरीर में पानी की कमी, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, अधिक चाय-कॉफी पीना, ज्यादा तली-भुनी/ गरिष्ठ/ मीठी चीजें खाना, कम पानी पीना और मल-मूत्र आदि वेगों को रोकना।
लक्षण : चक्कर आना, उल्टी, मूत्र मार्ग के आसपास तेज असहनीय दर्द, कंपकपी के साथ बुखार, लगातार यूरिन आना या इसकी इच्छा महसूस होना, यूरिन के साथ रक्तस्त्राव या तेज जलन।
आयुर्वेदिक चिकित्सा : आयुर्वेद के अनुसार गलत खानपान व खराब जीवनशैली से वात-पित-कफ दोष होते हैं। इससे शरीर में विषैले तत्त्व बनने लगते हैं। ये तत्त्व मूत्रमार्ग में पहुंचकर वहां मौजूद अन्य दोषों के साथ मिलकर पथरी का कारण बनते हैं। आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों से तैयार औषधियों के प्रयोग से इन कणों को तोडऩे का काम किया जाता है।
इन बातों का रखें खयाल
चाय-कॉफी, कोल्ड ड्रिंक, अचार और चॉकलेट से परहेज करें।
जूस, सूप और नींबू पानी आदि को डाइट में शामिल करें।
शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए रोजाना अधिक मात्रा में पानी पिएं।
चना, अदरक, ब्राउन राइस या उबले चावल खाएं।
मल-मूत्र आदि वेगों को रोके नहीं।
घरेलू उपचार
कैपर ट्री (वरुण), पंक्चर पाइन (गोखरू), थैच ग्रास (कस) और हॉर्स ग्राम (कुलथी) को समान मात्रा में लेकर पाउडर तैयार करें। दिनभर में इस पाउडर की एक चम्मच मात्रा पानी के साथ तीन से चार बार लें।
एक गिलास पानी में दो चम्मच गाजर के बीज भिगोएं। इसे तब तक उबालें जब तक कि यह पानी घटकर आधा रह जाए। दिन में दो बार आधा-आधा कप इस पानी को पीने से किडनी की पथरी गलकर निकल जाती है।
एक कप पानी में 10-12 तुलसी की पत्तियों को 15 मिनट तक उबालें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार पिएं। पथरी में आराम मिलेगा।
60 ग्राम राजमा चार लीटर पानी में चार घंटे तक उबालें। इसे साफ कपड़े से छान लें और लगभग आठ घंटे तक ठंडा होने दें। इस पानी को दिन में एक बार पिएं। इन सभी उपायों का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें।
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जानें किडनी में पथरी की समस्या के बारे में
किडनी में पथरी ऐसी स्थिति है जिसमें इस अंग में छोटे-छोटे कण बनने लगते हैं जो एक-दूसरे से जुडक़र पथरी का रूप ले लेते हैं। पथरी किडनी में एक या इससे ज्यादा संख्या में हो सकती हैं। सामान्यत: पथरी बेहद छोटे आकार की होती है जो यूरिन के रास्ते स्वत: निकल जाती है लेकिन यदि ये सामान्य आकार से बड़ी हो जाए तो मूत्रमार्ग में रुकावट आती है। जिससे तेज जलन, दर्द व रक्तस्त्राव हो सकता है। आयुर्वेद में इसे ‘वृक्कअष्मरी’ कहते हैं।
कारण : खराब जीवनशैली, देर तक धूप में रहने पर शरीर में पानी की कमी, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, अधिक चाय-कॉफी पीना, ज्यादा तली-भुनी/ गरिष्ठ/ मीठी चीजें खाना, कम पानी पीना और मल-मूत्र आदि वेगों को रोकना।
लक्षण : चक्कर आना, उल्टी, मूत्र मार्ग के आसपास तेज असहनीय दर्द, कंपकपी के साथ बुखार, लगातार यूरिन आना या इसकी इच्छा महसूस होना, यूरिन के साथ रक्तस्त्राव या तेज जलन।
आयुर्वेदिक चिकित्सा : आयुर्वेद के अनुसार गलत खानपान व खराब जीवनशैली से वात-पित-कफ दोष होते हैं। इससे शरीर में विषैले तत्त्व बनने लगते हैं। ये तत्त्व मूत्रमार्ग में पहुंचकर वहां मौजूद अन्य दोषों के साथ मिलकर पथरी का कारण बनते हैं। आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों से तैयार औषधियों के प्रयोग से इन कणों को तोडऩे का काम किया जाता है।
इन बातों का रखें खयाल
चाय-कॉफी, कोल्ड ड्रिंक, अचार और चॉकलेट से परहेज करें।
जूस, सूप और नींबू पानी आदि को डाइट में शामिल करें।
शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए रोजाना अधिक मात्रा में पानी पिएं।
चना, अदरक, ब्राउन राइस या उबले चावल खाएं।
मल-मूत्र आदि वेगों को रोके नहीं।
घरेलू उपचार
कैपर ट्री (वरुण), पंक्चर पाइन (गोखरू), थैच ग्रास (कस) और हॉर्स ग्राम (कुलथी) को समान मात्रा में लेकर पाउडर तैयार करें। दिनभर में इस पाउडर की एक चम्मच मात्रा पानी के साथ तीन से चार बार लें।
एक गिलास पानी में दो चम्मच गाजर के बीज भिगोएं। इसे तब तक उबालें जब तक कि यह पानी घटकर आधा रह जाए। दिन में दो बार आधा-आधा कप इस पानी को पीने से किडनी की पथरी गलकर निकल जाती है।
एक कप पानी में 10-12 तुलसी की पत्तियों को 15 मिनट तक उबालें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार पिएं। पथरी में आराम मिलेगा।
60 ग्राम राजमा चार लीटर पानी में चार घंटे तक उबालें। इसे साफ कपड़े से छान लें और लगभग आठ घंटे तक ठंडा होने दें। इस पानी को दिन में एक बार पिएं। इन सभी उपायों का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें।
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