google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बीमारियों के ‘कान खींचना’ - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

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बीमारियों के ‘कान खींचना’

कान खींचने का मतलब सजा देने से ही नहीं होता बल्कि यह विभिन्न बीमारियों के उपचार की पद्धति भी मानी जाती है। ‘ईयर रिफ्लेक्सो लॉजी’ या ‘ऑरिकुलोथे रैपी’ एक्यूप्रे शर से उपचार की एक ऐसी तकनीक है जिसमें अंगुलियों और अंगूठे की सहायता से कान के सैकड़ों बिंदुओं पर दबाव डाल कर सेहत में सुधार लाया जा सकता है ।

30 सेकंड में इलाज

ईयर रिफ्लेक्सो लॉजी विशे षज्ञ चीनी मूल के डॉ. ली चुन हुआंग कहते हैं कि इंसान के कान गर्भ में पल रहे एक शिशु की स्थिति जैसे होते हैं । कान की संर चना ऐसी है जैसे एक गर्भस्थ शिशु का सिर नीचे की ओर, मध्य भाग मुड़ी स्थिति में और पैर ऊप र की ओर होते हैं ।

ऐसे में कान में मौ जूद रिफ्ले क्स बिंदु शरीर के विभिन्न अंगों के प्रति निधि माने जाते हैं जिन पर 30 सेकंड से लेकर कई मिनटों तक दबाव दिया जाता है । दबाव उंगली, अंगूठे, किसी धातु या लकड़ी के उप करण, एक छोटे से बीज या पतली लिथि यम पट्टी से दिया जाता है ।

अस्थमा व पेट-दर्द में उपयोगी

ईयर रिफ्लेक्सो लॉजी का उप योग अस्थ मा व पेट से जुड़ी अधिकांश बीमा रियों के इलाज के लिए किया जाता है। कान के बीच वाले भाग में पेट संबंधी बीमा रियों से जुड़े बिंदु होते हैं । नीचे वाले भाग में दिमाग संबंधी व ऊपरी हिस्से में पांव, घुटनों आदि के रोगों संबंधी पॉइंट होते हैं ।

कान के बीच वाले भाग को बाहर की ओर खींचने से नाभि की स्थिति में सुधा र होता है जिससे पेट संबंधी अधि कांश रोगों को ठीक कर ने में मद द मिल ती है ।

ताजा अध्य यन के मुता बिक कान की संर चना गर्भस्थ शिशु के समान होने के कारण इस पर करीब 300 एक्यूप्रे शर पॉइंट होते हैं ।



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बीमारियों के ‘कान खींचना’

कान खींचने का मतलब सजा देने से ही नहीं होता बल्कि यह विभिन्न बीमारियों के उपचार की पद्धति भी मानी जाती है। ‘ईयर रिफ्लेक्सो लॉजी’ या ‘ऑरिकुलोथे रैपी’ एक्यूप्रे शर से उपचार की एक ऐसी तकनीक है जिसमें अंगुलियों और अंगूठे की सहायता से कान के सैकड़ों बिंदुओं पर दबाव डाल कर सेहत में सुधार लाया जा सकता है ।

30 सेकंड में इलाज

ईयर रिफ्लेक्सो लॉजी विशे षज्ञ चीनी मूल के डॉ. ली चुन हुआंग कहते हैं कि इंसान के कान गर्भ में पल रहे एक शिशु की स्थिति जैसे होते हैं । कान की संर चना ऐसी है जैसे एक गर्भस्थ शिशु का सिर नीचे की ओर, मध्य भाग मुड़ी स्थिति में और पैर ऊप र की ओर होते हैं ।

ऐसे में कान में मौ जूद रिफ्ले क्स बिंदु शरीर के विभिन्न अंगों के प्रति निधि माने जाते हैं जिन पर 30 सेकंड से लेकर कई मिनटों तक दबाव दिया जाता है । दबाव उंगली, अंगूठे, किसी धातु या लकड़ी के उप करण, एक छोटे से बीज या पतली लिथि यम पट्टी से दिया जाता है ।

अस्थमा व पेट-दर्द में उपयोगी

ईयर रिफ्लेक्सो लॉजी का उप योग अस्थ मा व पेट से जुड़ी अधिकांश बीमा रियों के इलाज के लिए किया जाता है। कान के बीच वाले भाग में पेट संबंधी बीमा रियों से जुड़े बिंदु होते हैं । नीचे वाले भाग में दिमाग संबंधी व ऊपरी हिस्से में पांव, घुटनों आदि के रोगों संबंधी पॉइंट होते हैं ।

कान के बीच वाले भाग को बाहर की ओर खींचने से नाभि की स्थिति में सुधा र होता है जिससे पेट संबंधी अधि कांश रोगों को ठीक कर ने में मद द मिल ती है ।

ताजा अध्य यन के मुता बिक कान की संर चना गर्भस्थ शिशु के समान होने के कारण इस पर करीब 300 एक्यूप्रे शर पॉइंट होते हैं ।

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