google.com, pub-5031399508792770, DIRECT, f08c47fec0942fa0 कुछ आदतें बदलोगे तो किडनी मुस्कुराएंगी - Ayurveda And Gharelu Vaidya Happy Diwali 2018

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कुछ आदतें बदलोगे तो किडनी मुस्कुराएंगी

खून का शुद्धिकरण, पानी, भोजन एवं क्षार का संतुलन, रक्तचाप, रक्त कोशिकाओं और खनिजों पर नियंत्रण करने वाली किडनी के प्रति हमारा रवैया लापरवाही वाला होता है। पेशाब की इच्छा होने पर टॉयलेट न जाना, पर्याप्त पानी न पीना, ज्यादा नमक और शराब का अधिक सेवन हमारी दोनों किडनियों को बीमार बना सकता है।

ब्लैडर को भरे रखना

कई लोग मूत्र त्याग की इच्छा होने पर उसे रोक लेते हैं। मूत्राशय में 300-400 मिलिलीटर पेशाब जमा होने पर व्यक्ति को पेशाब करने की इच्छा होती है। आलस, लापरवाही या काम का दबाव जैसी परिस्थितियों में यदि आप अपने मूत्राशय को खाली नहीं करते हैं तो किडनी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। रात में यदि पेशाब करने की इच्छा है तो उसे दबाने की कोशिश न करें।

पर्याप्त पानी न पीना

किडनी संबंधित कई समस्याएं पर्याप्त और साफ पानी न पीने की वजह से बढ़ती हैं। सांस लेने, पसीने के जरिए, पेशाब और पेट की क्रियाओं के दौरान पानी की कमी होती है। संतुलित वातावरण में रहने वाले पुरुषों को एक दिन में लगभग 13 कप यानी 3 लीटर पानी पीना चाहिए। महिलाओं को 9 कप यानी 2.2 लीटर पानी की जरूरत होती है। गर्भवती महिलाओं को 2.3 लीटर प्रतिदिन और जो महिलाएं स्तनपान करा रही हैं, उन्हें 3.1 लीटर पानी पीना चाहिए।

बहुत ज्यादा नमक खाना

नमक के ज्यादा इस्तेमाल का संबंध डायलिसिस के खतरे से है। यदि आप 4.7 ग्राम प्रतिदिन से ज्यादा नमक खाते हैं तो किडनी रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए रोजाना दो ग्राम से ज्यादा नमक की मात्रा न लें।

शराब ज्यादा पीना

अधिक मात्रा में शराब न सिर्फ जीवन बर्बाद करती है बल्कि शरीर को किसी लायक नहीं छोड़ती। लिवर के बाद यदि किसी अंग पर शराब का बुरा असर होता है तो वह है किडनी। शराब के कारण किडनी की रक्त छानने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है और यूरिया के अत्यधिक निर्माण के कारण खून में विषैले पदार्थ बढऩे लगते हैं। इसलिए शराब से तौबा करें और किडनी को स्वस्थ रखें।

बीपी को नजरअंदाज करना

एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाए तो आपकी किडनी को नुकसान हो सकता है। हाइपरटेंशन के शिकार 90 फीसदी लोगों को किडनी खराब होने के लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं होती।

अपने वजन पर नियंत्रण व एक्सरसाइज के जरिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसके लिए सबसे अच्छा है कि आप सजग व सक्रिय रहें और तनाव को कम करें। नियमित रूप से ब्लड प्रेशरकी जांच कराएं और डॉक्टरी सलाह से ही ब्लड प्रेशर की दवा लें।

दर्द निवारक दवाओं की लत

जब डॉक्टरी सलाह के बिना लंबे समय तक दर्द निवारक दवाइयां ली जाएं, किडनी फेल्योर या डायबिटीज हो तो ऐसे मरीजों में दवाई के कारण किडनी खराब होने का खतरा ज्यादा रहता है।

संक्रमण में लापरवाही

मूत्रमार्ग संबंधित संक्रमण हमारी किडनी पर बुरा असर डालता है। शरीर में यूरिया और क्रिएटिनिन दोनों विकार जब मूत्र के साथ बाहर नहीं निकल पाते हैं तो कई समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए समझदारी इसी में है कि किसी भी तरह का संक्रमण हो तो डॉक्टर से उचित सलाह लें और बताई गई दवाएं तब तक लें जब तक कि इंफेक्शन पूरी तरह से खत्म न हो जाए।

मांसाहार करना

मांसाहार में मौजूद प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा आपकी किडनी पर ज्यादा बोझ डालती है। पाचन क्रिया के दौरान प्रोटीन टूटकर यूरिक एसिड बन जाता है। किडनी शरीर में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड को मूत्रमार्ग के जरिए बाहर निकाल देती है। लेकिन यदि यूरिक एसिड शरीर में जमा रहे तो किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है।

क्या आप जानते हैं?

दस में से एक भारतीय को किडनी से जुड़ी कोई न कोई समस्या है। जागरूकता की कमी से ही दुनियाभर में हार्ट अटैक के बाद किडनी से जुड़ी बीमारियां मौत के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। आमतौर पर किडनी की समस्या के शुरुआती लक्षणों को पीडि़त नजरअंदाज करते हैं और समय निकल जाने के बाद ही डॉक्टर के पास या अस्पताल पहुंचते हैं। इसलिए चालीस साल की उम्र के बाद रुटीन चेकअप जरूर कराएं।

रोजाना 8-10 गिलास साफ पानी पिएं और संतुलित आहार के साथ-साथ व्यायाम को भी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।



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कुछ आदतें बदलोगे तो किडनी मुस्कुराएंगी

खून का शुद्धिकरण, पानी, भोजन एवं क्षार का संतुलन, रक्तचाप, रक्त कोशिकाओं और खनिजों पर नियंत्रण करने वाली किडनी के प्रति हमारा रवैया लापरवाही वाला होता है। पेशाब की इच्छा होने पर टॉयलेट न जाना, पर्याप्त पानी न पीना, ज्यादा नमक और शराब का अधिक सेवन हमारी दोनों किडनियों को बीमार बना सकता है।

ब्लैडर को भरे रखना

कई लोग मूत्र त्याग की इच्छा होने पर उसे रोक लेते हैं। मूत्राशय में 300-400 मिलिलीटर पेशाब जमा होने पर व्यक्ति को पेशाब करने की इच्छा होती है। आलस, लापरवाही या काम का दबाव जैसी परिस्थितियों में यदि आप अपने मूत्राशय को खाली नहीं करते हैं तो किडनी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। रात में यदि पेशाब करने की इच्छा है तो उसे दबाने की कोशिश न करें।

पर्याप्त पानी न पीना

किडनी संबंधित कई समस्याएं पर्याप्त और साफ पानी न पीने की वजह से बढ़ती हैं। सांस लेने, पसीने के जरिए, पेशाब और पेट की क्रियाओं के दौरान पानी की कमी होती है। संतुलित वातावरण में रहने वाले पुरुषों को एक दिन में लगभग 13 कप यानी 3 लीटर पानी पीना चाहिए। महिलाओं को 9 कप यानी 2.2 लीटर पानी की जरूरत होती है। गर्भवती महिलाओं को 2.3 लीटर प्रतिदिन और जो महिलाएं स्तनपान करा रही हैं, उन्हें 3.1 लीटर पानी पीना चाहिए।

बहुत ज्यादा नमक खाना

नमक के ज्यादा इस्तेमाल का संबंध डायलिसिस के खतरे से है। यदि आप 4.7 ग्राम प्रतिदिन से ज्यादा नमक खाते हैं तो किडनी रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए रोजाना दो ग्राम से ज्यादा नमक की मात्रा न लें।

शराब ज्यादा पीना

अधिक मात्रा में शराब न सिर्फ जीवन बर्बाद करती है बल्कि शरीर को किसी लायक नहीं छोड़ती। लिवर के बाद यदि किसी अंग पर शराब का बुरा असर होता है तो वह है किडनी। शराब के कारण किडनी की रक्त छानने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है और यूरिया के अत्यधिक निर्माण के कारण खून में विषैले पदार्थ बढऩे लगते हैं। इसलिए शराब से तौबा करें और किडनी को स्वस्थ रखें।

बीपी को नजरअंदाज करना

एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाए तो आपकी किडनी को नुकसान हो सकता है। हाइपरटेंशन के शिकार 90 फीसदी लोगों को किडनी खराब होने के लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं होती।

अपने वजन पर नियंत्रण व एक्सरसाइज के जरिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसके लिए सबसे अच्छा है कि आप सजग व सक्रिय रहें और तनाव को कम करें। नियमित रूप से ब्लड प्रेशरकी जांच कराएं और डॉक्टरी सलाह से ही ब्लड प्रेशर की दवा लें।

दर्द निवारक दवाओं की लत

जब डॉक्टरी सलाह के बिना लंबे समय तक दर्द निवारक दवाइयां ली जाएं, किडनी फेल्योर या डायबिटीज हो तो ऐसे मरीजों में दवाई के कारण किडनी खराब होने का खतरा ज्यादा रहता है।

संक्रमण में लापरवाही

मूत्रमार्ग संबंधित संक्रमण हमारी किडनी पर बुरा असर डालता है। शरीर में यूरिया और क्रिएटिनिन दोनों विकार जब मूत्र के साथ बाहर नहीं निकल पाते हैं तो कई समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए समझदारी इसी में है कि किसी भी तरह का संक्रमण हो तो डॉक्टर से उचित सलाह लें और बताई गई दवाएं तब तक लें जब तक कि इंफेक्शन पूरी तरह से खत्म न हो जाए।

मांसाहार करना

मांसाहार में मौजूद प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा आपकी किडनी पर ज्यादा बोझ डालती है। पाचन क्रिया के दौरान प्रोटीन टूटकर यूरिक एसिड बन जाता है। किडनी शरीर में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड को मूत्रमार्ग के जरिए बाहर निकाल देती है। लेकिन यदि यूरिक एसिड शरीर में जमा रहे तो किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है।

क्या आप जानते हैं?

दस में से एक भारतीय को किडनी से जुड़ी कोई न कोई समस्या है। जागरूकता की कमी से ही दुनियाभर में हार्ट अटैक के बाद किडनी से जुड़ी बीमारियां मौत के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। आमतौर पर किडनी की समस्या के शुरुआती लक्षणों को पीडि़त नजरअंदाज करते हैं और समय निकल जाने के बाद ही डॉक्टर के पास या अस्पताल पहुंचते हैं। इसलिए चालीस साल की उम्र के बाद रुटीन चेकअप जरूर कराएं।

रोजाना 8-10 गिलास साफ पानी पिएं और संतुलित आहार के साथ-साथ व्यायाम को भी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।

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