मौसम के अनुसार फल व सब्जियां खाने से सर्दी, फ्लू और मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। गर्मियों व बारिश की सब्जियों में बीटा कैरोटीन शरीर पर धूप के प्रभाव को कम करती है। इस सीजन के फल खाने में मीठे होते हैं, जिससे शरीर को स्फूर्ति, ताजगी और पानी की कमी पूरी होती है। सलाद में खीरा, ककड़ी डिहाइड्रेशन से बचाते हैं। बेमौसम मिलने वाले कई फल व सब्जियां 2 से ४ माह तक प्रिजर्व करते हैं। इनमें फाइटोन्यूट्रीएंट्स खत्म होने लगते हैं। यह शरीर की रोग-प्रतिरोधकता व मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं। शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालकर नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं।
लंबी दूरी से लाए जाने वाली सब्जियों, फलों को कच्चा तोड़ते हैं। इन्हें अधिक तापमान वाले कमरे में रखकर, रेफ्रिजरेटर और कार्बाइड से पकाते हैं। ऐसे फल और सब्जियां ऊपर से ताजे दिखते हैं, लेकिन अंदर से सड़े होते हैं। स्थानीय जगह पर मिलने वाली सब्जियां व फल सस्ते होते हैं। इनमें विटामिन सी, सॉलिड, बीटा कैरोटीन की मात्रा अधिक होती है। संरक्षित रखने से पोषक तत्त्वों में तेजी से कमी आती है।
मौसम के अनुसार फल-सब्जियां
गर्मी : आम, जामुन, तरबूज, खुबानी, नाशपाती, खरबूजा, लीची, स्ट्रॉबेरी, सीताफल, चेरी और सब्जियों में बीन्स, तोरई, लौकी, कद्दू, कटहल आदि।
सर्दी: सेब, शकरकंद, संतरा, लाल अंगूर, कीवी, अनार, आंवला, अमरूद, केला, स्ट्रॉबेरी, चीकू और सब्जियों में गाजर, शलजम, कसूरी मेथी, सरसों साग, पालक, मूली, मटर, फूलगोभी, पत्तागोभी आदि मिलती है।
बारिश : आम, आड़ू, नाशपाती, चेरी, जामुन, आलू बुखारा आदि प्रमुख फल हैं। सब्जियों में लौकी, तोरई, टिंडा, करेला, भिंडी और सीताफल आदि हैं।
मोटापे, कैंसर व लिवर का खतरा बढ़ता
लंबे समय तक सब्जियों और फलों को सुरक्षित रखने के लिए सोडियम बेंजोएट, सोडियम नाइट्रेट, सल्फर डाई-ऑक्साइड, सोर्बिक एसिड, मोनो-सोडियम ग्लूटामेट जैसे केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। ग्रीन टी का लंबे समय तक प्रयोग से कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसके साथ ही कई और बीमारियां भी होने की आशंका होती है जिसमें मोटापा, मधुमेह, हाइ ब्लड प्रेशर, गुर्दे और लिवर संबंधी बीमारियां प्रमुख हैं। एंटी-माइक्रोबायल केमिकल से लकवा, हृदयरोग, इनफर्टिलिटी, कोलेस्ट्रॉल बढऩा और अल्जाइमर की दिक्कत हो सकती हंै।
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बेमौसम के फल,सब्जी और अनाज से हो सकती एलर्जी व अन्य समस्याएं
मौसम के अनुसार फल व सब्जियां खाने से सर्दी, फ्लू और मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। गर्मियों व बारिश की सब्जियों में बीटा कैरोटीन शरीर पर धूप के प्रभाव को कम करती है। इस सीजन के फल खाने में मीठे होते हैं, जिससे शरीर को स्फूर्ति, ताजगी और पानी की कमी पूरी होती है। सलाद में खीरा, ककड़ी डिहाइड्रेशन से बचाते हैं। बेमौसम मिलने वाले कई फल व सब्जियां 2 से ४ माह तक प्रिजर्व करते हैं। इनमें फाइटोन्यूट्रीएंट्स खत्म होने लगते हैं। यह शरीर की रोग-प्रतिरोधकता व मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं। शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालकर नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं।
लंबी दूरी से लाए जाने वाली सब्जियों, फलों को कच्चा तोड़ते हैं। इन्हें अधिक तापमान वाले कमरे में रखकर, रेफ्रिजरेटर और कार्बाइड से पकाते हैं। ऐसे फल और सब्जियां ऊपर से ताजे दिखते हैं, लेकिन अंदर से सड़े होते हैं। स्थानीय जगह पर मिलने वाली सब्जियां व फल सस्ते होते हैं। इनमें विटामिन सी, सॉलिड, बीटा कैरोटीन की मात्रा अधिक होती है। संरक्षित रखने से पोषक तत्त्वों में तेजी से कमी आती है।
मौसम के अनुसार फल-सब्जियां
गर्मी : आम, जामुन, तरबूज, खुबानी, नाशपाती, खरबूजा, लीची, स्ट्रॉबेरी, सीताफल, चेरी और सब्जियों में बीन्स, तोरई, लौकी, कद्दू, कटहल आदि।
सर्दी: सेब, शकरकंद, संतरा, लाल अंगूर, कीवी, अनार, आंवला, अमरूद, केला, स्ट्रॉबेरी, चीकू और सब्जियों में गाजर, शलजम, कसूरी मेथी, सरसों साग, पालक, मूली, मटर, फूलगोभी, पत्तागोभी आदि मिलती है।
बारिश : आम, आड़ू, नाशपाती, चेरी, जामुन, आलू बुखारा आदि प्रमुख फल हैं। सब्जियों में लौकी, तोरई, टिंडा, करेला, भिंडी और सीताफल आदि हैं।
मोटापे, कैंसर व लिवर का खतरा बढ़ता
लंबे समय तक सब्जियों और फलों को सुरक्षित रखने के लिए सोडियम बेंजोएट, सोडियम नाइट्रेट, सल्फर डाई-ऑक्साइड, सोर्बिक एसिड, मोनो-सोडियम ग्लूटामेट जैसे केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। ग्रीन टी का लंबे समय तक प्रयोग से कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसके साथ ही कई और बीमारियां भी होने की आशंका होती है जिसमें मोटापा, मधुमेह, हाइ ब्लड प्रेशर, गुर्दे और लिवर संबंधी बीमारियां प्रमुख हैं। एंटी-माइक्रोबायल केमिकल से लकवा, हृदयरोग, इनफर्टिलिटी, कोलेस्ट्रॉल बढऩा और अल्जाइमर की दिक्कत हो सकती हंै।