
नाक बंद रहने के कई कारण हो सकते हैं। कई लोग फौरन नाक को खोलने के लिए नेजल ड्रॉप्स का इस्तेमाल करते हैं। कई बार जरूरत होने पर विशेषज्ञ भी 7-8 दिन तक इसके प्रयोग की सलाह देते हैं।
लेकिन अक्सर देखने में आता है कि मरीज इसके बाद भी बिना विशेषज्ञ की सलाह से इसका इस्तेमाल करते रहते हैं। लंबे समय तक इन ड्रॉप्स के प्रयोग से नाक बंद रहने लगती है। इस प्रकार हुए दुष्प्रभाव को राइनाइटिस मेडिकामेन्टोसा कहते हैं।
तकलीफ बढ़ती है ऐसे
इन ड्रॉप्स में ऑक्सीमेटाजोलीन या जाइलोमेटाजोलीन तत्त्व होते हैं जो शुरू में नाक के भीतर के ऊत्तकों की सूजन को कम करते हैं जिससे नाक तुरंत खुल जाती है और मरीज को आराम मिलता है।
लेकिन लंबे समय तक इन ड्रॉप्स के इस्तेमाल से ऊत्तकों का लचीलापन कम हो जाता है और रक्त का प्रवाह बढऩे से नाक में स्थित टरबीनेट्स ऊत्तक आकार में बढऩे लगते हैं जिससे नाक बंद रहने लगती है।
इस समस्या को रिबाउंड या कैमिकल राइनाइटिस भी कहते हैं। दवा के प्रयोग से होने की वजह से इसे राइनाइटिस मेडिकामेन्टोसा भी कहते हैं।
अन्य लक्षण : नेजल ड्रॉप पर निर्भरता बढऩे से नाक से पानी न आना, छींकें कम आना, साइनस संक्रमण की आशंका, सिरदर्द और नेजल पैसेज में सूजन जैसी समस्याएं भी बढऩे लगती हैं।
यह है इलाज
इस स्थिति में ड्रॉप्स के प्रयोग को तुंरत बंद कर दिया जाता है। इन पर निर्भरता होने से शुरुआत में दिक्कत आती है जिसके लिए कुछ दिन ओरल स्टेरॉइड्स दी जाती हैं। फिर स्टेरॉइड नेजल स्प्रे का लंबे समय तक प्रयोग व भाप लेने के लिए कहा जाता है।
नाक बंद रहने की मूल वजह यदि पोलिप्स, सेप्टम हड्डी का टेढ़ापन या बढऩा, गांठ, साइनोसाइटिस का बढऩा है तो इसका इलाज किया जाता है। कुछ मामलों में टरबीनोप्लास्टी सर्जरी भी की जाती है।
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नाक बंद रहने की वजह नेजल ड्रॉप तो नहीं!

नाक बंद रहने के कई कारण हो सकते हैं। कई लोग फौरन नाक को खोलने के लिए नेजल ड्रॉप्स का इस्तेमाल करते हैं। कई बार जरूरत होने पर विशेषज्ञ भी 7-8 दिन तक इसके प्रयोग की सलाह देते हैं।
लेकिन अक्सर देखने में आता है कि मरीज इसके बाद भी बिना विशेषज्ञ की सलाह से इसका इस्तेमाल करते रहते हैं। लंबे समय तक इन ड्रॉप्स के प्रयोग से नाक बंद रहने लगती है। इस प्रकार हुए दुष्प्रभाव को राइनाइटिस मेडिकामेन्टोसा कहते हैं।
तकलीफ बढ़ती है ऐसे
इन ड्रॉप्स में ऑक्सीमेटाजोलीन या जाइलोमेटाजोलीन तत्त्व होते हैं जो शुरू में नाक के भीतर के ऊत्तकों की सूजन को कम करते हैं जिससे नाक तुरंत खुल जाती है और मरीज को आराम मिलता है।
लेकिन लंबे समय तक इन ड्रॉप्स के इस्तेमाल से ऊत्तकों का लचीलापन कम हो जाता है और रक्त का प्रवाह बढऩे से नाक में स्थित टरबीनेट्स ऊत्तक आकार में बढऩे लगते हैं जिससे नाक बंद रहने लगती है।
इस समस्या को रिबाउंड या कैमिकल राइनाइटिस भी कहते हैं। दवा के प्रयोग से होने की वजह से इसे राइनाइटिस मेडिकामेन्टोसा भी कहते हैं।
अन्य लक्षण : नेजल ड्रॉप पर निर्भरता बढऩे से नाक से पानी न आना, छींकें कम आना, साइनस संक्रमण की आशंका, सिरदर्द और नेजल पैसेज में सूजन जैसी समस्याएं भी बढऩे लगती हैं।
यह है इलाज
इस स्थिति में ड्रॉप्स के प्रयोग को तुंरत बंद कर दिया जाता है। इन पर निर्भरता होने से शुरुआत में दिक्कत आती है जिसके लिए कुछ दिन ओरल स्टेरॉइड्स दी जाती हैं। फिर स्टेरॉइड नेजल स्प्रे का लंबे समय तक प्रयोग व भाप लेने के लिए कहा जाता है।
नाक बंद रहने की मूल वजह यदि पोलिप्स, सेप्टम हड्डी का टेढ़ापन या बढऩा, गांठ, साइनोसाइटिस का बढऩा है तो इसका इलाज किया जाता है। कुछ मामलों में टरबीनोप्लास्टी सर्जरी भी की जाती है।
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